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अथर्ववेद - काण्ड 12/ सूक्त 5/ मन्त्र 40
सूक्त - अथर्वाचार्यः
देवता - ब्रह्मगवी
छन्दः - याजुष्यनुष्टुप्
सूक्तम् - ब्रह्मगवी सूक्त
अ॑स्व॒गता॒ परि॑ह्णुता ॥
स्वर सहित पद पाठअ॒स्व॒गता॑ । परि॑ऽह्नुता ॥९.२॥
स्वर रहित मन्त्र
अस्वगता परिह्णुता ॥
स्वर रहित पद पाठअस्वगता । परिऽह्नुता ॥९.२॥
अथर्ववेद - काण्ड » 12; सूक्त » 5; मन्त्र » 40
Translation -
If she is taken by any one she does not live.