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  • अथर्ववेद - काण्ड 13/ सूक्त 4/ मन्त्र 31
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - अध्यात्मम् छन्दः - विराड्गायत्री सूक्तम् - अध्यात्म सूक्त

    स वा अ॒न्तरि॑क्षादजायत॒ तस्मा॑द॒न्तरि॑क्षमजायत ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स: । वै । अ॒न्तरि॑क्षात् । अ॒जा॒य॒त॒ । तस्मा॑त् । अ॒न्तर‍ि॑क्षम् । अ॒जा॒य॒त॒ ॥७.३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    स वा अन्तरिक्षादजायत तस्मादन्तरिक्षमजायत ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    स: । वै । अन्तरिक्षात् । अजायत । तस्मात् । अन्तर‍िक्षम् । अजायत ॥७.३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 13; सूक्त » 4; मन्त्र » 31

    पदार्थ -
    (सः) वह [कारणरूप ईश्वर] (वै) अवश्य (अन्तरिक्षात्) [कार्यरूप] अन्तरिक्ष से (अजायत) प्रकट हुआ है, (तस्मात्) उस [कारणरूप] से (अन्तरिक्षम्) अन्तरिक्ष (अजायत) उत्पन्न हुआ है ॥३१॥

    भावार्थ - मन्त्र २९ के समान ॥३१॥

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