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  • अथर्ववेद - काण्ड 13/ सूक्त 4/ मन्त्र 29
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - अध्यात्मम् छन्दः - आसुरी गायत्री सूक्तम् - अध्यात्म सूक्त

    स वा अह्नो॑ऽजायत॒ तस्मा॒दह॑रजायत ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स: । वै । अह्न॑: । अ॒जा॒य॒त॒ । तस्मा॑त् । अह॑: । अ॒जा॒य॒त॒ ॥७.१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    स वा अह्नोऽजायत तस्मादहरजायत ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    स: । वै । अह्न: । अजायत । तस्मात् । अह: । अजायत ॥७.१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 13; सूक्त » 4; मन्त्र » 29

    पदार्थ -
    (सः) वह [कारणरूप परमात्मा] (वै) अवश्य (अह्नः) [कार्यरूप] दिन से (अजायत) प्रकट हुआ है, (तस्मात्) उस [कारणरूप] से (अहः) [कार्यरूप] दिन (अजायत) उत्पन्न हुआ है ॥२९॥

    भावार्थ - कार्यरूप जगत् को देखकर विद्वान् लोग निश्चय करते हैं कि सब दिन आदि सृष्टि का बनानेवाला सर्वशक्तिमान् अन्तर्यामी परमेश्वर है ॥२९॥

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