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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 4/ मन्त्र 29
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - अध्यात्मम् छन्दः - आसुरी गायत्री सूक्तम् - अध्यात्म सूक्त
    41

    स वा अह्नो॑ऽजायत॒ तस्मा॒दह॑रजायत ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स: । वै । अह्न॑: । अ॒जा॒य॒त॒ । तस्मा॑त् । अह॑: । अ॒जा॒य॒त॒ ॥७.१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    स वा अह्नोऽजायत तस्मादहरजायत ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    स: । वै । अह्न: । अजायत । तस्मात् । अह: । अजायत ॥७.१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 13; सूक्त » 4; मन्त्र » 29
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    हिन्दी (1)

    विषय

    परमात्मा और जीवात्मा के विषय का उपदेश।

    पदार्थ

    (सः) वह [कारणरूप परमात्मा] (वै) अवश्य (अह्नः) [कार्यरूप] दिन से (अजायत) प्रकट हुआ है, (तस्मात्) उस [कारणरूप] से (अहः) [कार्यरूप] दिन (अजायत) उत्पन्न हुआ है ॥२९॥

    भावार्थ

    कार्यरूप जगत् को देखकर विद्वान् लोग निश्चय करते हैं कि सब दिन आदि सृष्टि का बनानेवाला सर्वशक्तिमान् अन्तर्यामी परमेश्वर है ॥२९॥

    टिप्पणी

    २९−(सः) कारणरूपः परमेश्वरः (वै) अवश्यम् (अह्नः) कार्यरूपाद् दिनात् (अजायत) प्रादुरभवत् (तस्मात्) कारणरूपात् (अहः) दिनम् (अजायत) उदपद्यत ॥

    इंग्लिश (1)

    Subject

    Savita, Aditya, Rohita, the Spirit

    Meaning

    He is manifest from the day, since the day is born of him through his manifestation.

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    २९−(सः) कारणरूपः परमेश्वरः (वै) अवश्यम् (अह्नः) कार्यरूपाद् दिनात् (अजायत) प्रादुरभवत् (तस्मात्) कारणरूपात् (अहः) दिनम् (अजायत) उदपद्यत ॥

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