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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 4/ मन्त्र 47
    ऋषिः - ब्रह्मा देवता - अध्यात्मम् छन्दः - यवमध्या गायत्री सूक्तम् - अध्यात्म सूक्त
    69

    भूया॒नरा॑त्याः॒ शच्याः॒ पति॒स्त्वमि॑न्द्रासि वि॒भूः प्र॒भूरिति॒ त्वोपा॑स्महे व॒यम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    भूया॑न् । अरा॑त्या: । शच्या॑: । पति॑: । त्वम् । इ॒न्द्र॒ । अ॒सि॒ । वि॒ऽभू: । प्र॒ऽभू: । इति॑ । त्वा॒ । उप॑ । आ॒स्म॒हे॒ । व॒यम् ॥८.२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    भूयानरात्याः शच्याः पतिस्त्वमिन्द्रासि विभूः प्रभूरिति त्वोपास्महे वयम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    भूयान् । अरात्या: । शच्या: । पति: । त्वम् । इन्द्र । असि । विऽभू: । प्रऽभू: । इति । त्वा । उप । आस्महे । वयम् ॥८.२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 13; सूक्त » 4; मन्त्र » 47
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    परमात्मा और जीवात्मा के विषय का उपदेश।

    पदार्थ

    (इन्द्र) हे परम ऐश्वर्यवाले [परमात्मन् !] (त्वम्) तू (अरात्याः) शत्रु से (भूयान्) अधिक बलवान्, (शच्याः) वाणी, कर्म वा बुद्धि का (पतिः) पति, (विभूः) व्यापक और (प्रभूः) समर्थ (असि) है, (इति) इस प्रकार से (वयम्) हम (त्वा उप आस्महे) तेरी उपासना करते हैं ॥४७॥

    भावार्थ

    मनुष्यों को योग्य है कि पूर्ण बली सर्वस्वामी जगदीश्वर की उपासना से आत्मबल बढ़ावें ॥४७॥मन्त्र ४७-५१ महर्षिदयानन्दकृत ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका उपासनाविषय पृ० १६०-१६१ में व्याख्यात हैं ॥

    टिप्पणी

    ४७−(भूयान्) अधिकतरो बली (अरात्याः) शत्रुसकाशात्, (शच्याः) शची वाङ्नाम-निघ० १।११। कर्मनाम−२।१। प्रजानाम−३।९। वाण्याः कर्मणो बुद्धेर्वा (पतिः) पालकः (त्वम्) (इन्द्रः) परमेश्वर्यवन् (असि) (विभूः) व्यापकः (प्रभूः) समर्थः (इति) अनेन प्रकारेण (त्वा) त्वाम् (उपास्महे) सेवामहे (वयम्) उपासकाः ॥

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    विषय

    विभूः प्रभूः

    पदार्थ

    १. (इन्द्रः) = वह परमैश्वर्यशाली प्रभु (न-मुरात्) = न नष्ट होनेवाले कारणजगत् से (भूयान्) = बड़े हैं, अधिक है, इसीप्रकार (इन्द्र) = हे परमैश्वर्यशाली प्रभो! आप (मृत्युभ्यः) = न मरणधर्मा कार्यजगत् से (भूयान् असि) = अधिक हैं। यह प्रकृति व प्रकृतिजनित सारा ब्रह्माण्ड प्रभु के एक देश में ही है। २. हे प्रभो। आप (अरात्या:) = मानव-शान्ति की नाशिका अशुभवृत्ति से (भूयान्) = अधिक हैं। आपके उपासक को यह 'अराति' विनष्ट शान्तिवाला नहीं कर पाती। है इन्द्र-प्रभो! आप (शच्याः पति: असि) = शक्ति व प्रज्ञान के पति हैं। (वयम्) = हम (त्वा) = आपको (विभू:) = सर्वव्यापक तथा प्रभू: सर्वशक्तिमान् इति इस रूप में उपास्महे-उपासित करते हैं।

    भावार्थ

    यह कारणजगत् व कार्यजगत् प्रभु के एक देश में है। प्रभु अपने उपासक की शान्ति को नष्ट नहीं होने देते। वे शक्ति व प्रज्ञान के स्वामी हैं। प्रभु सर्वव्यापक व सर्वशक्तिमान् हैं।

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    भाषार्थ

    (इन्द्र) हे परमैश्वर्य वाले ! (अरात्याः भूयान्) अदानी से बड़ा, (शच्याः पतिः) कर्मों और प्रज्ञाओं का स्वामी (त्वम् असि) तू है, (विभूः) व्यापक और (प्रभूः) शक्तिशाली या स्वामी है (इति) इस प्रकार (वयम्) हम (त्वा) तेरी (उपास्महे) उपासना करते हैं।

    टिप्पणी

    [परमेश्वर अदानी से बड़ा है, वह कर्मों और प्रज्ञाओं का अध्यक्ष है तथा परमैश्वर्य का भी स्वामी है, अतः अदानी से मांग न करते हुए हम तेरी शरण में आते हैं। तू व्यापक, विभूतियों वाला, तथा सर्वशक्तिमान् है। अतः हम तेरी ही उपासना करते हैं]।

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    विषय

    परमेश्वर का वर्णन।

    भावार्थ

    हे इन्द्र ! परमेश्वर तू (अरात्याः भूयान्) अराति = दरिद्रता या कृपण से भी अधिक बलशाली अधिक ऐश्वर्यवान् है। (शच्याः पतिः त्वम् असि) समस्त शक्ति का स्वामी तू स्वयं है। (विभः प्रभुः इति) ‘विभू’ नाना सामर्थ्यों से सम्पन्न और ‘प्रभु’ उत्तम सामर्थ्यवान् इन नामों से (वयम्) हम (त्वा उपास्महे) तेरी उपासना करते हैं।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    ४६ आसुरी गायत्री, ४७ यवमध्या गायत्री, ४८ साम्नी उष्णिक्, ४९ निचृत् साम्नी बृहती, ५० प्राजापत्यानुष्टुप, ५१ विराड गायत्री। षडृचात्मक पञ्चमं पर्यायसूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Savita, Aditya, Rohita, the Spirit

    Meaning

    Indra, greater than non-liberality and enmity, lord of great powers and actions, you are infinite and supreme master over all. We worship you and pray for being close to you.

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    Translation

    Mightier than the niggardness, you are the Lord of strength (activity),O resplendent Lord, we worship you as pervading, as overlording.

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    Translation

    O Indra (Almightly God) Thou art stronger than malignity,Thou art the Lord of intelligence and might,considering Thou Omnipresent and Paramount we worship Thee.

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    Translation

    Yea, stronger than parsimony art Thou, O God, Lord of Might Calling Thee Omnipresent, Sovran Chief, we pay our reverence to Thee.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ४७−(भूयान्) अधिकतरो बली (अरात्याः) शत्रुसकाशात्, (शच्याः) शची वाङ्नाम-निघ० १।११। कर्मनाम−२।१। प्रजानाम−३।९। वाण्याः कर्मणो बुद्धेर्वा (पतिः) पालकः (त्वम्) (इन्द्रः) परमेश्वर्यवन् (असि) (विभूः) व्यापकः (प्रभूः) समर्थः (इति) अनेन प्रकारेण (त्वा) त्वाम् (उपास्महे) सेवामहे (वयम्) उपासकाः ॥

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