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  • अथर्ववेद - काण्ड 13/ सूक्त 4/ मन्त्र 33
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - अध्यात्मम् छन्दः - आसुरी गायत्री सूक्तम् - अध्यात्म सूक्त

    स वै दि॒वोजा॑यत॒ तस्मा॒द्द्यौरधि॑ अजायत ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स: । वै । दि॒व: । अ॒जा॒य॒त॒ । तस्मा॑त् । द्यौ: । अधि॑ । अ॒जा॒य॒त॒ ॥७.५॥


    स्वर रहित मन्त्र

    स वै दिवोजायत तस्माद्द्यौरधि अजायत ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    स: । वै । दिव: । अजायत । तस्मात् । द्यौ: । अधि । अजायत ॥७.५॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 13; सूक्त » 4; मन्त्र » 33

    पदार्थ -
    (सः) वह [कारणरूप ईश्वर] (वै) अवश्य (दिवः) [कार्यरूप] सूर्य से (अजायत) प्रकट हुआ है, (तस्मात्) उस [कारणरूप] से (द्यौः) सूर्य (अधि) यथाविधि (अजायत) उत्पन्न हुआ है ॥३३॥

    भावार्थ - मन्त्र २९ के समान ॥३३॥

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