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  • अथर्ववेद - काण्ड 18/ सूक्त 1/ मन्त्र 25
    सूक्त - यम, मन्त्रोक्त देवता - त्रिष्टुप् छन्दः - अथर्वा सूक्तम् - पितृमेध सूक्त

    श्रु॒धी नो॑अग्ने॒ सद॑ने स॒धस्थे॑ यु॒क्ष्वा रथ॑म॒मृत॑स्य द्रवि॒त्नुम्। आ नो॑ वह॒ रोद॑सीदे॒वपु॑त्रे॒ माकि॑र्दे॒वाना॒मप॑ भूरि॒ह स्याः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    श्रु॒धि । न॒: । अ॒ग्ने॒ । सद॑ने । स॒धऽस्थे॑ । यु॒क्ष्व । रथ॑म् । अ॒मृत॑स्य । द्र॒वि॒त्नुम् । आ । न॒: । व॒ह॒ । रोद॑सी॒ इति॑ । दे॒वपु॑त्रे॒ इति॑ । दे॒वऽपु॑त्रे । माकि॑: । दे॒वाना॑म् । अप॑ । भू॒: । इ॒ह । स्या॒: ॥१.२५॥


    स्वर रहित मन्त्र

    श्रुधी नोअग्ने सदने सधस्थे युक्ष्वा रथममृतस्य द्रवित्नुम्। आ नो वह रोदसीदेवपुत्रे माकिर्देवानामप भूरिह स्याः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    श्रुधि । न: । अग्ने । सदने । सधऽस्थे । युक्ष्व । रथम् । अमृतस्य । द्रवित्नुम् । आ । न: । वह । रोदसी इति । देवपुत्रे इति । देवऽपुत्रे । माकि: । देवानाम् । अप । भू: । इह । स्या: ॥१.२५॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 18; सूक्त » 1; मन्त्र » 25

    पदार्थ -
    १. प्रभु जीव से कहते हैं कि-हे (अग्ने) = प्रगतिशील जीव! तु (सदने) = इस शरीररूप गृह में (सधस्थे) = मिलकर बैठने के स्थान इस हृदय में (न: श्रुधी) = हमारी बात को सुन । हृदयस्थ प्रभु जीव को सदा प्रेरणा देते हैं। जीव को चाहिए कि उस प्रेरणा को सुने। प्रेरणा देते हुए प्रभु कहते हैं कि (रथं युक्ष्व) = तू इस शरीर-रथ को जोत। यह खड़ा ही न रह जाए, अर्थात् तू सदा क्रियाशील बन। (अमृतस्य द्रवित्नुम्) = यह तेरा रथ अमृत का द्रावक हो, अर्थात् तू सदा मधुर शब्दों को ही बोलनेवाला हो। तेरा सारा व्यवहार ही मधुर हो। २. (न:) = हमसे दिये गये (रोदसी) = इन द्यावापृथिवी को-मस्तिष्क व शरीर को (आवह) = सब प्रकार से धारण करनेवाला हो। तेरा शरीर स्वस्थ हो और मस्तिष्क दीप्त हो। ये (देवपुत्रे) = दिव्यगुणों के द्वारा अपने को पवित्र रखनेवाले [पु] व अपने को सुरक्षित करनेवाले [त्र] हों [देवैः पुनीत: त्रायते च]। इह इस जीवन में (देवानाम्) = दिव्यगुण-सम्पन्न विद्वानों का (अपभू:) = निरादर करनेवाला (माकिः स्या:) = मत हो। सदा उनके संग में उत्तम प्रेरणा के द्वारा अपने जीवन को पवित्र करनेवाला हो।

    भावार्थ - हम प्रभु की प्रेरणा को सुनें। क्रियाशील बनें। वाणी व सब व्यवहार को मधुर बनाएँ। शरीर को स्वस्थ व मस्तिष्क को दीत रक्खें। सदा सत्संग की रुचिवाले हों।

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