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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 6/ मन्त्र 5
    ऋषिः - ब्रह्मा देवता - अतिथिः, विद्या छन्दः - आसुरी गायत्री सूक्तम् - अतिथि सत्कार
    66

    या ए॒व य॒ज्ञ आपः॑ प्रणी॒यन्ते॒ ता ए॒व ताः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    या: । ए॒व । य॒ज्ञे । आप॑: । प्र॒ऽनी॒यन्ते॑ । ता: । ए॒व । ता: ॥६.५॥


    स्वर रहित मन्त्र

    या एव यज्ञ आपः प्रणीयन्ते ता एव ताः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    या: । एव । यज्ञे । आप: । प्रऽनीयन्ते । ता: । एव । ता: ॥६.५॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 6; पर्यायः » 1; मन्त्र » 5
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    हिन्दी (3)

    विषय

    संन्यासी और गृहस्थ के धर्म का उपदेश।

    पदार्थ

    (याः) जो (एव) ही (आपः) जल (यज्ञे) यज्ञ में (प्रणीयन्ते) आदर से लाये जाते हैं, (ताः) वे (एव) ही (ताः) वे [अतिथि के लिये उपकारी होते हैं] ॥५॥

    भावार्थ

    संन्यासी लोग उपकार दृष्टि से ही जल पान आदि करते हैं ॥५॥

    टिप्पणी

    ५−(याः) (एव) (यज्ञे) सत्करणीये व्यवहारे (आपः) जलानि (प्रणीयन्ते) आदरेण दीयन्ते (ताः) जलानि (एव) (ताः) उपकारिण्य इत्यर्थः ॥

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    विषय

    अतिथियज्ञ-देवजन

    पदार्थ

    १. (यत्) = जब (अतिथिपति:) = अतिथियों का पालक गृहपति [गृहस्थ Host] (अतिथीन् प्रतिपश्यति) =  अतिथियों की ओर देखता है, तब वह (वै देवयजनं प्रेक्षते) = निश्चय से देवयजन । को देखता है। वह यही सोचता है कि यह अतिथियज्ञ ही मेरा देवयज्ञ है। इसके द्वारा मैं अपने साथ देवों का [दिव्य गुणों का] यजन करूँगा-दिव्य गुणों को धारण करनेवाला बनूंगा। २. (यत् अभिवदति) = जब अतिथि का अभिवादन करता है तब वह (दीक्षाम् उपैति) = यज्ञ में दीक्षा [व्रत-ग्रहण] को प्राप्त करता है। (यत्) = जब (उदकं याचति) = जल-पात्रों में जल के द्वारा 'अर्ष, पाध, आचमनीय' आदि लेने के लिए कहता है तब वह (अपः प्रणयति) = मानो देवयज्ञ में जलों को प्रणीता-पात्र में लाता है। ३. (याः एव यज्ञे आपः प्रणीयन्ते) = जो भी जल यज्ञ में प्रणीता पात्र में लाये जाते हैं, (ताः एव ता:) = वे ही ये जल हैं जो अतिथियज्ञ में 'अर्घ, पाद्य, आचमनीय' के रूप में प्रयुक्त हो रहे हैं।

    भावार्थ

    अतिथि सत्कार 'देवयज्ञ' ही है। यह अपने जीवन में दिव्य गुणों को धारण करने का उत्तम साधन है।

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    भाषार्थ

    (यज्ञे) यज्ञ के निमित्त (एव) ही (या आपः) जो जल (प्रणीयन्ते) लाए जाते हैं (ताः एव ताः) वे ही वे हैं [जोकि अतिथि यज्ञ के निमित्त लाए जाते हैं]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Atithi Yajna: Hospitality

    Meaning

    The water he brings is water for yajna, and the water is as sacred as water consecrated by Divinity.

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    Translation

    That is, as if, the very same waters, that are brought to the sacrifice.

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    Translation

    The waters brought for the guest are the same solemn water which are arranged for the yajna.

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    Translation

    The water that is solemnly brought at a sacrifice (Yajna) is the same water as is offered to an honorable guest.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ५−(याः) (एव) (यज्ञे) सत्करणीये व्यवहारे (आपः) जलानि (प्रणीयन्ते) आदरेण दीयन्ते (ताः) जलानि (एव) (ताः) उपकारिण्य इत्यर्थः ॥

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