Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 19/ मन्त्र 16
    ऋषिः - हैमवर्चिर्ऋषिः देवता - यज्ञो देवता छन्दः - भुरिगनुष्टुप् स्वरः - गान्धारः
    58

    आ॒स॒न्दी रू॒पꣳ रा॑जास॒न्द्यै वेद्यै॑ कु॒म्भी सु॑रा॒धानी॑। अन्त॑रऽउत्तरवे॒द्या रू॒पं का॑रोत॒रो भि॒षक्॥१६॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आ॒स॒न्दीत्या॑ऽस॒न्दी। रू॒पम्। रा॒जा॒स॒न्द्या इति॑ राजऽआस॒न्द्यै। वेद्यै॑। कु॒म्भी। सु॒रा॒धानीति॑ सुरा॒ऽधानी॑। अन्त॑रः। उ॒त्त॒र॒वे॒द्या इत्यु॑त्तरऽवे॒द्याः। रू॒पम्। का॒रो॒त॒रः। भि॒षक् ॥१६ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    आसन्दी रूपँ राजासन्द्यै वेद्यै कुम्भी सुराधानी । अन्तरऽउत्तरवेद्या रूपङ्कारोतरो भिषक् ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    आसन्दीत्याऽसन्दी। रूपम्। राजासन्द्या इति राजऽआसन्द्यै। वेद्यै। कुम्भी। सुराधानीति सुराऽधानी। अन्तरः। उत्तरवेद्या इत्युत्तरऽवेद्याः। रूपम्। कारोतरः। भिषक्॥१६॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 19; मन्त्र » 16
    Acknowledgment

    पदार्थ -
    পদার্থঃ– হে মনুষ্যগণ! তোমাদিগের উচিত যে, যজ্ঞ হেতু (আসন্দী) যাহা সকল দিক দিয়া সেবন করা হয় উহা (রূপম্) সুন্দর ক্রিয়া (রাজাসন্দ্যৈ) রাজাগণ যন্মধ্যে উপবেশন করেন সেই (বেদ্যৈ) সুখ প্রাপ্তিকারিণী বেদীর অর্থ (কুম্ভী) ধান্যাদি পদার্থএর আধার (সুরাধানী) যন্মধ্যে সোমরস ধারণ করা হয় সেই গাগর (অন্তরঃ) যদ্দ্বারা জীবন হয় এই অন্নাদি পদার্থ (উত্তরবেদ্যাঃ) উত্তরের বেদীর (রূপম্) রূপকে (কারোতরঃ) কর্মচারী ও (ভিষক্) বৈদ্য, ইহাদের সংগ্রহ কর ॥ ১৬ ॥

    भावार्थ - ভাবার্থঃ– মনুষ্য যে যে কার্য্য করিবার ইচ্ছা করিবে সেই সেই কার্য্যের সমস্ত সাধনগুলির সঞ্চয় করিবে ॥ ১৬ ॥

    मन्त्र (बांग्ला) - আ॒স॒ন্দী রূ॒পꣳ রা॑জাস॒ন্দ্যৈ বেদ্যৈ॑ কু॒ম্ভী সু॑রা॒ধানী॑ ।
    অন্ত॑রऽউত্তরবে॒দ্যা রূ॒পং কা॑রোত॒রো ভি॒ষক্ ॥ ১৬ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - আসন্দীত্যস্য হৈমবর্চির্ঋষিঃ । য়জ্ঞো দেবতা । ভুরিগনুষ্টুপ্ ছন্দঃ ।
    গান্ধারঃ স্বরঃ ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top