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  • यजुर्वेद - अध्याय 13/ मन्त्र 33
    ऋषिः - गोतम ऋषिः देवता - विष्णुर्देवता छन्दः - निचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः
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    विष्णोः॒ कर्मा॑णि पश्यत॒ यतो॑ व्र॒तानि॑ पस्प॒शे। इन्द्र॑स्य॒ युज्यः॒ सखा॑॥३३॥

    स्वर सहित पद पाठ

    विष्णोः॑। कर्मा॑णि। प॒श्य॒त॒। यतः॑। व्र॒तानि॑। प॒स्प॒शे। इन्द्र॑स्य। युज्यः॑। सखा॑ ॥३३ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    विष्णोः कर्माणि पश्यत यतो व्रतानि पस्पशे । इन्द्रस्य युज्यः सखा ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    विष्णोः। कर्माणि। पश्यत। यतः। व्रतानि। पस्पशे। इन्द्रस्य। युज्यः। सखा॥३३॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 13; मन्त्र » 33
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    भावार्थ -
    व्याख्या देखो अ० ६ । ४ ॥ शत० ७।५।११० ॥

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