ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 61/ मन्त्र 23
सु॒वीरा॑सो व॒यं धना॒ जये॑म सोम मीढ्वः । पु॒ना॒नो व॑र्ध नो॒ गिर॑: ॥
स्वर सहित पद पाठसु॒ऽवीरा॑सः । व॒यम् । धना॑ । जये॑म । सो॒म॒ । मी॒ढ्वः॒ । पु॒ना॒नः । व॒र्ध॒ । नः॒ । गिरः॑ ॥
स्वर रहित मन्त्र
सुवीरासो वयं धना जयेम सोम मीढ्वः । पुनानो वर्ध नो गिर: ॥
स्वर रहित पद पाठसुऽवीरासः । वयम् । धना । जयेम । सोम । मीढ्वः । पुनानः । वर्ध । नः । गिरः ॥ ९.६१.२३
ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 61; मन्त्र » 23
अष्टक » 7; अध्याय » 1; वर्ग » 22; मन्त्र » 3
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अष्टक » 7; अध्याय » 1; वर्ग » 22; मन्त्र » 3
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भाष्य भाग
संस्कृत (1)
पदार्थः
(मीढ्वः) हे सुखवर्षक ! (नः) अस्माकं (गिरः) वाक्छक्तिं (पुनानः) वर्धयन् (वर्ध) अस्मानपि आनन्दय, यतः (सोम) हे प्रभो ! (वयम्) वयं (सुवीरासः) सुवीरैः सङ्गता भवन्तः (धनं जयेम) अनेकविधसम्पत्तीनां लाभं कुर्मः ॥२३॥
हिन्दी (2)
पदार्थ
(मीढ्वः) हे सुख की वर्षा करनेवाले ! (नः) हमारी (गिरः) वाक्शक्ति को (पुनानः) बढ़ाते हुए (वर्ध) हमको भी अभिनन्दित करिये, जिससे (सोम) हे स्वामिन् ! (वयम्) हम (सुवीरासः) सुन्दर वीरों से संगत होकर (धनम् जयेम) अनेक प्रकार की सम्पत्ति का लाभ करें ॥२३॥
भावार्थ
इस मन्त्र में परमात्मा से प्रगल्भवक्ता बनने की प्रार्थना की गई है ॥२३॥
विषय
वीरों के कर्त्तव्य, उनके उत्साह योग्य कार्य।
भावार्थ
हे (सोम) उत्तम शासक ! अभिषिक्त ! हे (मीढ्वः) बल-वीर्यशालिन ! (वयं सु-वीरासः) उत्तम बलवान्, विद्यावान्, पुत्रवान्, प्राणवान् होकर (धना जयेम) धनों का विजय करें। तू (नः गिरः वर्ध) हम स्तुतिकर्त्ताओं को वा हमारी वाणियों को बढ़ा।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
अमहीयुर्ऋषिः। पवमानः सोमो देवता॥ छन्द:- १, ४, ५, ८, १०, १२, १५, १८, २२–२४, २९, ३० निचृद् गायत्री। २, ३, ६, ७, ९, १३, १४, १६, १७, २०, २१, २६–२८ गायत्री। ११, १९ विराड् गायत्री। २५ ककुम्मती गायत्री॥ त्रिंशदृचं सूक्तम्॥
इंग्लिश (1)
Meaning
O Soma, virile lord of creation and evolution, bless us so that, blest with noble warlike progeny, we may win the wealth of life. Pure and purifying lord, exalt our intellect and imagination and our songs of adoration for divinity.
मराठी (1)
भावार्थ
या मंत्रात परमेश्वराने प्रगल्भवक्ता बनवावे अशी प्रार्थना केलेली आहे. ॥२३॥
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