Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 23/ मन्त्र 11
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - जिज्ञासुर्देवता छन्दः - अनुष्टुप् स्वरः - गान्धारः
    7

    का स्वि॑दासीत् पू॒र्वचि॑त्तिः॒ किस्वि॑दासीद् बृ॒हद्वयः॑। का स्वि॑दासीत् पिलिप्पि॒ला का स्वि॑दासीत् पिशङ्गि॒ला॥११॥

    स्वर सहित पद पाठ

    का। स्वि॒त्। आ॒सी॒त्। पू॒र्वचि॑त्ति॒रिति॑ पू॒र्वऽचि॑त्तिः॒। किम्। स्वि॒त्। आ॒सी॒त्। बृ॒हत्। वयः॑। का। स्वि॒त्। आ॒सी॒त्। पि॒लि॒प्पि॒ला। का। स्वि॒त्। आ॒सी॒त्। पि॒श॒ङ्गि॒ला ॥११ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    का स्विदासीत्पूर्वचित्तिः किँ स्विदासीद्बृहद्वयः । का स्विदासीत्पिलिप्पिला का स्विदासीत्पिशङ्गिला ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    का। स्वित्। आसीत्। पूर्वचित्तिरिति पूर्वऽचित्तिः। किम्। स्वित्। आसीत्। बृहत्। वयः। का। स्वित्। आसीत्। पिलिप्पिला। का। स्वित्। आसीत्। पिशङ्गिला॥११॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 23; मन्त्र » 11
    Acknowledgment

    पदार्थ -
    পদার্থঃ- হে বিদ্বান্গণ ! আমরা তোমাদের নিকট জিজ্ঞাসা করি যে, (কা, স্বিৎ) কে (পূর্বচিত্তিঃ) স্মরণের প্রথম বিষয় (আসীৎ) হইয়াছে? (কিম্ স্বিৎ) কে (বৃহৎ) বৃহৎ (বয়ঃ) উড়নশীল পক্ষী (আসীৎ) আছে? (কা, স্বিৎ) কে (পিলিপ্পিলা) আর্দ্র চিক্কণ বস্তু (আসীৎ) তথা (কা, স্বিৎ) কে (পিশঙ্গিলা) প্রকাশরূপকে নিগরণকারী বস্তু (আসীৎ) আছে ॥ ১১ ॥

    भावार्थ - ভাবার্থঃ- এই মন্ত্রের উত্তর পরবর্ত্তী মন্ত্রে দেওয়া হইয়াছে । যাহারা বিদ্বান্দিগকে জিজ্ঞাসা করিবে না, তাহারা স্বয়ং বিদ্বান্ নয় ॥ ১১ ॥

    मन्त्र (बांग्ला) - কা স্বি॑দাসীৎ পূ॒র্বচি॑ত্তিঃ॒ কিᳬंস্বি॑দাসীদ্ বৃ॒হদ্বয়ঃ॑ ।
    কা স্বি॑দাসীৎ পিলিপ্পি॒লা কা স্বি॑দাসীৎ পিশঙ্গি॒লা ॥ ১১ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - কাস্বিদিত্যস্য প্রজাপতির্ঋষিঃ । জিজ্ঞাসুর্দেবতা । অনুষ্টুপ্ ছন্দঃ ।
    গান্ধারঃ স্বরঃ ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top