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  • अथर्ववेद - काण्ड 9/ सूक्त 5/ मन्त्र 37
    सूक्त - भृगुः देवता - अजः पञ्चौदनः छन्दः - त्रिपदा विराड्गायत्री सूक्तम् - अज सूक्त

    अ॒जं च॒ पच॑त॒ पञ्च॑ चौद॒नान्। सर्वा॒ दिशः॒ संम॑नसः स॒ध्रीचीः॒ सान्त॑र्देशाः॒ प्रति॑ गृ॒ह्णन्तु॑ त ए॒तम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ॒जम् । च॒ । पच॑त । पञ्च॑ । च॒ । ओ॒द॒नान् । सर्वा॑: । दिश॑: । सम्ऽम॑नस: । स॒ध्रीची॑: । सऽअ॑न्तर्देशा: । प्रति॑ । गृ॒ह्ण॒न्तु॒ । ते॒ । ए॒तम् ॥५.३७॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अजं च पचत पञ्च चौदनान्। सर्वा दिशः संमनसः सध्रीचीः सान्तर्देशाः प्रति गृह्णन्तु त एतम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अजम् । च । पचत । पञ्च । च । ओदनान् । सर्वा: । दिश: । सम्ऽमनस: । सध्रीची: । सऽअन्तर्देशा: । प्रति । गृह्णन्तु । ते । एतम् ॥५.३७॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 5; मन्त्र » 37

    पदार्थ -

    १. हे जीवो! (अजं च पचत) = उल्लिखित 'नैदाघ', 'कुर्वन्', "संयन्', 'पिन्वन्', 'उद्यन्' व 'अभिभू' नामक वृत्तियों से जीवात्मा का ठीकरूप में परिपाक करो (च) = और (पञ्च ओदनान) = पाँचों जानेन्द्रियों से प्राप्त होनेवाले ज्ञान-भोजनों का भी परिपाक करो। (सर्वा:) = सब (सान्तर्देशा:) = अन्तर्देशोसहित (दिश:) = दिशाएँ-दिशाओं में स्थित प्राणी (संमनस:) = उत्तम मनवाले होकर (सध्रीची:) = सम्मिलित गतिवाले होकर (ते) = तेरे (एतम्) = इस ज्ञान को (प्रतिगृह्णन्तु) = ग्रहण करनेवाले हों। ज्ञान परिपक्व व्यक्ति जब ज्ञान का प्रसार करे तब सब दिशाओं में स्थित प्राणी उस ज्ञान के ग्रहण की रुचिवाले हों। २. (ता:) = वे सब दिशाएँ (ते) = तेरी हों-तुझे उन दिशाओं की अनुकूलता प्राप्त हो। (तव) = तेरे (एतम्) = इस ज्ञान को [ज्ञान के ओदन को] (तुभ्यम्) = तेरे लिए (रक्षन्तु) = रक्षित करें। मैं (ताभ्य:) = उन सब दिशाओं के लिए उनकी अनुकूलता के लिए (इदम्) = उस (आग्यम्) = घृत को और (हवि:) = हवियों को (जुहोमि) = आहुत करता हूँ। अग्निहोत्र से वायु शुद्ध होकर नीरोगता प्राप्त होती है। ज्ञान-प्राति के लिए नीरोगता की नितान्त आवश्यकता है।

    भावार्थ -

    हम तपस्या की अग्नि में आत्मा का परिपाक करें तथा पाँचों ज्ञानेन्द्रियों से प्राप्त होनेवाले ज्ञानों को प्राप्त करें। इस ज्ञान को सब दिशाओं में स्थित मनुष्य ग्रहण करें। हमें इन दिशाओं की अनुकूलता प्राप्त हो। अग्निहोत्र द्वारा ये सब दिशाएँ शुद्ध वायुबाली होकर नीरोगता को सिद्ध करें।

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