Loading...
मन्त्र चुनें
  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 3/ मन्त्र 29
    ऋषिः - यम, मन्त्रोक्त देवता - विराट् जगती छन्दः - अथर्वा सूक्तम् - पितृमेध सूक्त
    32

    ध॒र्ता ह॑ त्वाध॒रुणो॑ धारयाता ऊ॒र्ध्वं भा॒नुं स॑वि॒ता द्यामि॑वो॒परि॑। लो॑क॒कृतः॑ पथि॒कृतो॑यजामहे॒ ये दे॒वानां॑ हु॒तभा॑गा इ॒ह स्थ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ध॒र्ता । ह॒ । त्वा॒ । ध॒रुण॑: । धा॒र॒या॒तै॒ । ऊ॒र्ध्वम् । भा॒नुम् । स॒वि॒ता । द्याम्ऽइ॒व । उ॒परि॑ । लो॒क॒ऽकृत॑: । प॒थि॒ऽकृत॑: । य॒जा॒म॒हे॒ । ये । दे॒वाना॑म् । हु॒तऽभा॑गा: । इ॒ह । स्थ ॥३.२९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    धर्ता ह त्वाधरुणो धारयाता ऊर्ध्वं भानुं सविता द्यामिवोपरि। लोककृतः पथिकृतोयजामहे ये देवानां हुतभागा इह स्थ ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    धर्ता । ह । त्वा । धरुण: । धारयातै । ऊर्ध्वम् । भानुम् । सविता । द्याम्ऽइव । उपरि । लोकऽकृत: । पथिऽकृत: । यजामहे । ये । देवानाम् । हुतऽभागा: । इह । स्थ ॥३.२९॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 18; सूक्त » 3; मन्त्र » 29
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    सब दिशाओं में रक्षा का उपदेश।

    पदार्थ

    (धर्ता) पोषण करनेवाला (धरुणः) स्थिर स्वभाववाला परमात्मा (ह) निश्चय करके (त्वा) तुझे (ऊर्ध्वम्) ऊँचा (धारयातै) रक्खे, (इव) जैसे (सविता) सर्वप्रेरक परमेश्वर (भानुम्) सूर्य को (द्याम् उपरि) आकाश पर [रखता है]। (लोककृतः) समाजों के करनेवाले, (पथिकृतः)मार्गों के बनानेवाले [तुम लोगों] को (यजामहे) हम पूजते हैं, (ये) जो तुम (देवानाम्) विद्वानों के बीच (हुतभागाः) भाग लेनेवाले (इह) यहाँ (स्थ) हो ॥२९॥

    भावार्थ

    परमात्मा सर्वपोषक, दृढ़ स्वभाववाले पुरुषार्थी जनों को उच्च स्थान देता है, जैसे वह अनेक लोकों केआकर्षक, पोषक सूर्य को आकाश में ऊँचा रखता है। सब मनुष्य सर्वहितैषी विद्वानोंका आश्रय लेकर उस जगदीश्वर की भक्ति करें ॥२९॥

    टिप्पणी

    २९−(धर्ता) पोषकः (ह) निश्चयेन (त्वा) (धरुणः) कॄवृदारिभ्य उनन्। उ० ३।५३। धृङ् अवस्थाने-उनन्। स्थिरस्वभावःपरमात्मा (धारयातै) लेटि रूपम्। धारयेत् (ऊर्ध्वम्) (भानुम्) सूर्यम् (सविता)सर्वप्रेरकः परमेश्वरः (द्याम्) आकाशम् (इव) यथा (उपरि) म० २५।आश्रित्येत्यर्थः। अन्यत् पूर्ववत् ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    ऊर्ध्वं धारयातै

    पदार्थ

    १. वह (धर्ता) = धारण करनेवाला (ह) = निश्चय से (धरुणः) = सूक्ष्माति सूक्ष्म सत्य तत्वों का भी आधारभूत प्रभु (त्वा) = तुझे (ऊर्ध्वं धारयातै) = ऊपर धारण करे-उत्कृष्ट स्थिति में प्राप्त कराए। इसप्रकार ऊपर धारण करे (इव) = जैसेकि (सविता) = सर्वप्ररेक प्रभु (भानुम्) = दीप्त (द्याम्) = द्युलोक को (उपरि) = ऊपर धारण करता है। वस्तुत: प्रभु हमारे भी मस्तिष्करूप घलोक को ज्ञानदीप्ति से दीप्त करके हमें ऊपर धारण करनेवाले हों। २. इसी उद्देश्य से हम (इह) = यहाँ उन पितरों का (यजामहे) = आदर करते हैं-संगतिकरण करते हैं उनके प्रति अपना अर्पण करते हैं, (ये) = जोकि (लोककृत:) = प्रकाश करनेवाले हैं, ज्ञान देकर (पथिकृतः) = मार्ग बनानेवाले हैं तथा (देवानां हुतभागाः स्थ) = देवों के हुत का सेवन करनेवाले, अर्थात् यज्ञशील है। इन पितरों के सम्पर्क में हमारे मस्तिष्क अवश्य ज्ञानदीप्त बनेंगे।

    भावार्थ

    प्रभु धर्ता हैं-धरुण हैं। वे दीप्त धुलोक को जैसे ऊपर धारण करते हैं, उसी प्रकार हमारे मस्तिष्क को भी ज्ञानदीप्त करके हमें उन्नत करते हैं। हम इस ज्ञानप्रकाश द्वारा मार्गदर्शक, यज्ञशील पितरों के चरणों में नम्रता से उपस्थित होकर ज्ञान प्राप्त करने के लिए यत्नशील होते हैं।

    इस भाष्य को एडिट करें

    भाषार्थ

    (धर्ता) सब का धारण करने वाला (धरुणः) सर्वाधार परमेश्वर (त्वा) तेरा (ऊर्ध्वम्) ऊपर के लोकों में (धारयातै) धारण करे। (सविता) सर्वोत्पादक तथा सर्वप्रेरक परमेश्वर (इव) जैसे (भानुम्) सूर्य का तथा (द्याम्) द्युलोक का (उपरि) ऊपर में धारण कर रहा है। 'लोककृतः'– आदि पूर्ववत् (२५)

    टिप्पणी

    [मन्त्र २५ से २८ में "मा" द्वारा मृतव्यक्ति का सम्बन्धी चारों दिशाओं से अपनी रक्षा की प्रार्थना परमेश्वर से करता है। और मन्त्र १५० में "त्वा" द्वारा मृतव्यक्ति की ऊपर के लोकों में धारण की प्रार्थना करता हैं। मृतव्यक्ति पार्थिव सम्बन्ध से छूट कर ऊपर के लोकों में जाता है, और रहता है, जब तक कि उस का पुनर्जन्म नहीं होता।]

    इस भाष्य को एडिट करें

    इंग्लिश (4)

    Subject

    Victory, Freedom and Security

    Meaning

    May Dharta, supreme wielder of the universe, centre hold of all world’s diversity, hold you high as Savita, lord creator, holds the sun and heaven above. O divine performers of yajna for the divinities, benefactors of the world and path makers of humanity, we invoke and adore you who stay with us here and partake of our holy offerings.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    Dhartar the maintainer shall maintain thee aloft, as Savitar the light to the sky above; to the world makers etc. etc

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    May the supporter of all who is the only support of the world bear you, O man, as the sun bears light above heaven ………..Devas.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    May God, the strong. Firm sustainer bear thee in an exalted position, as the Sun bears aloft the shining heaven. We worship those who are the benefactors of the world, show us the path of rectitude, Land who amongst the learned share the gifts we offer.

    Footnote

    Thee: An enterprising person.

    इस भाष्य को एडिट करें

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    २९−(धर्ता) पोषकः (ह) निश्चयेन (त्वा) (धरुणः) कॄवृदारिभ्य उनन्। उ० ३।५३। धृङ् अवस्थाने-उनन्। स्थिरस्वभावःपरमात्मा (धारयातै) लेटि रूपम्। धारयेत् (ऊर्ध्वम्) (भानुम्) सूर्यम् (सविता)सर्वप्रेरकः परमेश्वरः (द्याम्) आकाशम् (इव) यथा (उपरि) म० २५।आश्रित्येत्यर्थः। अन्यत् पूर्ववत् ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top