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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 3/ मन्त्र 61
    ऋषिः - यम, मन्त्रोक्त देवता - त्रिष्टुप् छन्दः - अथर्वा सूक्तम् - पितृमेध सूक्त
    35

    वि॒वस्वा॑न्नो॒अभ॑यं कृणोतु॒ यः सु॒त्रामा॑ जी॒रदा॑नुः सु॒दानुः॑। इ॒हेमे वी॒रा ब॒हवो॑भवन्तु॒ गोम॒दश्व॑व॒न्मय्य॑स्तु पु॒ष्टम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    वि॒वस्वा॑न् । न॒: । अभय॑म् । कृ॒णो॒तु॒ । य: । सु॒ऽत्रामा॑ । जी॒रऽदा॑नु: । सु॒ऽदानु॑: । इ॒ह । इ॒मे । वी॒रा: । ब॒हव॑: । भ॒व॒न्तु॒ । गोऽम॑त् । अश्व॑ऽवत् । मयि॑ । अ॒स्तु॒ । पु॒ष्टम् ॥३.६१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    विवस्वान्नोअभयं कृणोतु यः सुत्रामा जीरदानुः सुदानुः। इहेमे वीरा बहवोभवन्तु गोमदश्ववन्मय्यस्तु पुष्टम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    विवस्वान् । न: । अभयम् । कृणोतु । य: । सुऽत्रामा । जीरऽदानु: । सुऽदानु: । इह । इमे । वीरा: । बहव: । भवन्तु । गोऽमत् । अश्वऽवत् । मयि । अस्तु । पुष्टम् ॥३.६१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 18; सूक्त » 3; मन्त्र » 61
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    अभय पाने का उपदेश।

    पदार्थ

    (विवस्वान्) प्रकाशमयपरमेश्वर (नः) हमारे लिये (अभयम्) अभय (कृणोतु) करे, (यः) जो [परमात्मा] (सुत्रामा) बड़ा रक्षक (जीरदानुः) वेग का देनेवाला, (सुदानुः) बड़ा उदार है (इह)यहाँ पर (इमे) यह सब (वीराः) वीर लोग (बहवः) बहुत (भवन्तु) होवें, (गोमत्) उत्तमगौओं से युक्त और (अश्ववत्) उत्तम घोड़ों से युक्त (पुष्टम्) पोषण (मयि) मुझ में (अस्तु) होवे ॥६१॥

    भावार्थ

    मनुष्य परमात्मा काआश्रय लेकर प्रयत्नशाली वेगवान् और उदार होकर संसार में शान्ति करें और सब लोगोंको वीर बनाकर समृद्ध होवें ॥६१॥यह मन्त्र महर्षिदयानन्दकृत संस्कारविधि जातकर्मप्रकरण में उद्धृत है और इस का तीसरा पाद ऊपर आया है-अ० १२।२।२१ ॥

    टिप्पणी

    ६१−(विवस्वान्)प्रकाशमयः परमेश्वरः (नः) अस्मभ्यम् (अभयम्) भयराहित्यम् (कृणोतु) करोतु (यः)परमेश्वरः (सुत्रामा) सु+त्रैङ् पालने मनिन्। बहुरक्षकः (जीरदानुः) अ० ७।१८।२।जोरी च। उ० २।२३। जु गतौ-रक्, ईकारादेशः, जीराः क्षिप्रनाम-निघ० २।१५, ददातेर्नु।वेगदाता (सुदानुः) महोदारः (इह) अत्र संसारे (इमे) (वीराः) शूराः (बहवः)बहुसंख्याकाः (भवन्तु) (गोमत्) उत्तमगोभिर्युक्तम् (अश्ववत्) श्रेष्ठाश्वोपेतम् (मयि) (अस्तु) (पुष्टम्) पोषणम्। वर्धनम् ॥

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    विषय

    गोमत् अश्ववत्' पुष्टम्

    पदार्थ

    १. (विवस्वान्) = ज्ञान की किरणोंवाले सूर्यसम ज्योतिरूप ब्रह्म (न:) = हमारे लिए (अभयं कृणोतु) = मरणजनितभीतिराहित्य को करे। वह विवस्वान्, (यः) = जोकि (सुत्रामा) = सम्यक् रक्षण करनेवाला है-हमें वासनाओं से आक्रान्त नहीं होने देता। इसप्रकार जो जीरदानु: हमारे जीवन का कर्ता है और सुदानु: सब उत्तमताओं को प्राप्त करनेवाला है। हम प्रभु की उपासना करनेवाले बनें। प्रभु हमारे कवच होंगे और हमें न तो मृत्यु का भय होगा न वासनाओं के आक्रमण का। २. (इह) = यहाँ-हमारे घर में (इमे) = ये (वीरा:) = वीर सन्तान (बहवः भवन्तु) = [बृहि वृद्धौ-हते] वृद्धिशील हों-हमारे सन्तान वीर व वृद्धिशील हों और (मयि) = मुझमें (गोमत्) = प्रशस्त ज्ञानेन्द्रियोंवाला, (अश्ववत्) = प्रशस्त कर्मेन्द्रियोंवाला (पुष्टम्) = अंग-प्रत्यंग का पोषण (अस्तु) = हो। मेरे सब अंग सुपुष्ट हों और मेरी ज्ञानेन्द्रियों व कर्मन्द्रियों प्रशस्त हों।

    भावार्थ

    प्रभु का उपासन हमें निर्भय बनाए। प्रभु हमारे रक्षक हों। हमारे सन्तान वृद्धिशील व वीर हों। हमारे अंग-प्रत्यंग पुष्ट हों, हमारी ज्ञानेन्द्रियों व कर्मेन्द्रियाँ प्रशस्त हों।

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    भाषार्थ

    (विवस्वान) अज्ञानान्धकार को दूर करनेवाला, विविध जगत् में बसा हुआ परमेश्वर (नः) हमें (अभयम्) निर्भय (कृणोतु) करे, (यः) जो परमेश्वर कि (जीरदानुः) जीवनदाता, शीघ्र फलदाता, और (सुदानुः) उत्तम दानी है। (इह) इस गृहस्थ जीवन में (इमे) ये (वीराः) वीर सन्तानें (बहवः) बहुत (भवन्तु) हों। (मयि) मुझ गृहस्थी में (पुष्टम्) परिपुष्टि (अस्तु) हो, (गोमत् अश्ववत्) गौएं हों, और अश्व हों।

    टिप्पणी

    [विवस्वान् = विवासयति दूरीकरोति। वि= विविध + वस् (बसना) + वान् (वाला)। जीरदानुः=जीवयति प्राणान् धारयति (उणा० २।२४); जीराः= क्षिप्रनाम (निघं० १।१५)।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Victory, Freedom and Security

    Meaning

    Let the self-refulgent lord of the world who is all-protective, giver of life energy, and all beneficent, grant us freedom from fear. Let all these brave heroes be many and for me, and may there be growth and progress in lands, cows and horses, and culture, and let there be great achievements of health and prosperity for me.

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    Translation

    Let Vivasvant make for us freedom from fear, he who is well-preserving, quick-giving, well-giving; let these heroes be many here; let there be in me prosperity rich in kine, rich in horses.

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    Translation

    May self-refulgent God who is good protector, giver of motive power and who is benevolent, make us free from fears, may there be large namber of heroes belonging to me and may there be in my own possession the wealth full of cows and horses.

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    Translation

    May the Resplendent God, good Rescuer, life Bestower, bounteous Giver, make us free from fear! Many in number be these heroic children of ours! Increase of wealth be mine in kine and horses!

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ६१−(विवस्वान्)प्रकाशमयः परमेश्वरः (नः) अस्मभ्यम् (अभयम्) भयराहित्यम् (कृणोतु) करोतु (यः)परमेश्वरः (सुत्रामा) सु+त्रैङ् पालने मनिन्। बहुरक्षकः (जीरदानुः) अ० ७।१८।२।जोरी च। उ० २।२३। जु गतौ-रक्, ईकारादेशः, जीराः क्षिप्रनाम-निघ० २।१५, ददातेर्नु।वेगदाता (सुदानुः) महोदारः (इह) अत्र संसारे (इमे) (वीराः) शूराः (बहवः)बहुसंख्याकाः (भवन्तु) (गोमत्) उत्तमगोभिर्युक्तम् (अश्ववत्) श्रेष्ठाश्वोपेतम् (मयि) (अस्तु) (पुष्टम्) पोषणम्। वर्धनम् ॥

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