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  • यजुर्वेद - अध्याय 15/ मन्त्र 3
    ऋषिः - परमेष्ठी ऋषिः देवता - दम्पती देवते छन्दः - ब्राह्मी त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः
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    षो॒ड॒शी स्तोम॒ऽओजो॒ द्रवि॑णं चतुश्चत्वारि॒ꣳश स्तोमो॒ वर्चो॒ द्रवि॑णम्। अ॒ग्नेः पुरी॑षम॒स्यप्सो॒ नाम॒ तां॑ त्वा॒ विश्वे॑ऽअ॒भिगृ॑णन्तु दे॒वाः। स्तोम॑पृष्ठा घृ॒तव॑ती॒ह सी॑द प्र॒जाव॑द॒स्मे द्रवि॒णायज॑स्व॥३॥

    स्वर सहित पद पाठ

    षो॒ड॒शी। स्तोमः॑। ओजः॑। द्रवि॑णम्। च॒तु॒श्च॒त्वा॒रि॒ꣳश इति॑ चतुःऽच॒त्वा॒रि॒ꣳशः। स्तोमः॑। वर्चः॑। द्रवि॑णम्। अ॒ग्नेः। पुरी॑षम्। अ॒सि॒। अप्सः॑। नाम॑। ताम्। त्वा॒। विश्वे॑। अ॒भि। गृ॒ण॒न्तु॒। दे॒वाः। स्तोम॑पृ॒ष्ठेति॒ स्तोम॑ऽपृष्ठा। घृ॒तव॒ती॒ति॑ घृ॒तऽव॑ती। इ॒ह। सी॒द॒। प्र॒जाव॒दिति॑ प्र॒जाऽव॑त्। अ॒स्मे इत्य॒स्मे। द्रवि॒णा। य॒ज॒स्व॒ ॥३ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    षोडशी स्तोमऽओजो द्रविणञ्चतुश्चत्वारिँश स्तोमो वर्चा द्रविणम् । अग्नेः पुरीषमस्यप्सो नाम तान्त्वा विश्वेऽअभि गृणन्तुदेवाः । स्तोमपृष्ठा घृतवतीह सीद प्रजावदस्मे द्रविणायजस्व ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    षोडशी। स्तोमः। ओजः। द्रविणम्। चतुश्चत्वारिꣳश इति चतुःऽचत्वारिꣳशः। स्तोमः। वर्चः। द्रविणम्। अग्नेः। पुरीषम्। असि। अप्सः। नाम। ताम्। त्वा। विश्वे। अभि। गृणन्तु। देवाः। स्तोमपृष्ठेति स्तोमऽपृष्ठा। घृतवतीति घृतऽवती। इह। सीद। प्रजावदिति प्रजाऽवत्। अस्मे इत्यस्मे। द्रविणा। यजस्व॥३॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 15; मन्त्र » 3
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    पदार्थ -
    পদার্থঃ- যে (ষোডশী) প্রশংসিত ষোল কলাযুক্ত (স্তোমঃ) স্তুতিযোগ্য (ওজঃ) পরাক্রম (দ্রবিণম্) ধন যাহা (চতুশ্চত্বারিংশঃ) চুয়াল্লিশ সংখ্যাকে পূর্ণকারী ব্রহ্মচর্য্যের আচরণ (স্তোমঃ) স্তুতির সাধন (নাম) প্রসিদ্ধ (বর্চঃ) পড়া এবং (দ্রবিণম্) বলকে প্রদান করে, যে (অগ্নেঃ) অগ্নির (পুরীষম্) পূর্ত্তি প্রাপ্ত (অপ্সঃ) অন্যের পদার্থের ভোগেচ্ছা রহিত (অসি) হয় সেই (ত্বা) পুরুষ তথা (তান্) স্ত্রীকে (বিশ্বে) সমস্ত (দেবাঃ) বিদ্বান্গণ (অভিগৃনন্তু) প্রশংসা করে সুতরাং তুমি (স্তোমপৃষ্ঠা) ইষ্ট স্তুতিসকলের জ্ঞাত্রী (ঘৃতবর্তী) প্রশংসিত ঘৃতাদি পদার্থযুক্ত (ইহ) এই গৃহাশ্রমে (সীদ) স্থিত হও এবং (অস্মে) আমাদের জন্য (প্রজাবৎ) বহু সন্তানদিগের হেতু (দ্রবিণা) ধনকে (য়জস্ব) প্রদান করিতে থাকিবে ॥ ৩ ॥

    भावार्थ - ভাবার্থঃ- মনুষ্যদিগের উচিত যে, ষোল কলা রূপ জগতে বিদ্যারূপ বলের বিস্তার কর এবং গৃহাশ্রম করিয়া বিদ্যাদানাদি কর্ম্মকে নিরন্তর করিতে থাকিবে ॥ ৩ ॥

    मन्त्र (बांग्ला) - ষো॒ড॒শী স্তোম॒ऽওজো॒ দ্রবি॑ণং চতুশ্চত্বারি॒ꣳশ স্তোমো॒ বর্চো॒ দ্রবি॑ণম্ ।
    অ॒গ্নেঃ পুরী॑ষম॒স্যপ্সো॒ নাম॒ তাং॑ ত্বা॒ বিশ্বে॑ऽঅ॒ভিগৃ॑ণন্তু দে॒বাঃ ।
    স্তোম॑পৃষ্ঠা ঘৃ॒তব॑তী॒হ সী॑দ প্র॒জাব॑দ॒স্মে দ্রবি॒ণা য়॑জস্ব ॥ ৩ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - ষোডশীত্যস্য পরমেষ্ঠী ঋষিঃ । দম্পতী দেবতে । ব্রাহ্মী ত্রিষ্টুপ্ ছন্দঃ ।
    ধৈবতঃ স্বরঃ ॥

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