ऋग्वेद - मण्डल 6/ सूक्त 47/ मन्त्र 26
वन॑स्पते वी॒ड्व॑ङ्गो॒ हि भू॒या अ॒स्मत्स॑खा प्र॒तर॑णः सु॒वीरः॑। गोभिः॒ संन॑द्धो असि वी॒ळय॑स्वास्था॒ता ते॑ जयतु॒ जेत्वा॑नि ॥२६॥
स्वर सहित पद पाठवन॑स्पते । वी॒ळुऽअ॑ङ्गः । हि । भू॒याः । अ॒स्मत्ऽस॑खा । प्र॒ऽतर॑णः । सु॒ऽवीरः॑ । गोभिः॑ । सम्ऽन॑द्धः । अ॒सि॒ । वी॒ळय॑स्व । आ॒ऽस्था॒ता । ते॒ । ज॒य॒तु॒ । जेत्वा॑नि ॥
स्वर रहित मन्त्र
वनस्पते वीड्वङ्गो हि भूया अस्मत्सखा प्रतरणः सुवीरः। गोभिः संनद्धो असि वीळयस्वास्थाता ते जयतु जेत्वानि ॥२६॥
स्वर रहित पद पाठवनस्पते। वीळुऽअङ्गः। हि। भूयाः। अस्मत्ऽसखा। प्रऽतरणः। सुऽवीरः। गोभिः। सम्ऽनद्धः। असि। वीळयस्व। आऽस्थाता। ते। जयतु। जेत्वानि ॥२६॥
ऋग्वेद - मण्डल » 6; सूक्त » 47; मन्त्र » 26
अष्टक » 4; अध्याय » 7; वर्ग » 35; मन्त्र » 1
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अष्टक » 4; अध्याय » 7; वर्ग » 35; मन्त्र » 1
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भाष्य भाग
संस्कृत (1)
विषयः
पुनः स राजा कीदृशान् सुहृद इच्छेदित्याह ॥
अन्वयः
हे वनस्पते ! हि यतो वीङ्वङ्गः प्रतरणः सुवीरो गोभिस्सह सन्नद्धस्त्वमसि तस्मादस्मत्सखा भूयाः। आस्थाता सन्नस्मान् वीळयस्व ते सेना जेत्वानि जयतु ॥२६॥
पदार्थः
(वनस्पते) वनानां किरणानां पालकः सूर्य इव (वीड्वङ्गः) वीळूनि बलिष्ठान्यङ्गानि यस्य सः (हि) यतः (भूयाः) (अस्मत्सखा) अस्माकं मित्रम् (प्रतरणः) प्रतारकः (सुवीरः) सुष्ठु वीरयुक्तः (गोभिः) सुशिक्षिताभिर्वाग्भिः (सन्नद्धः) सम्यक् सज्जः (असि) (वीळयस्व) दृढान् कारय (आस्थाता) आस्थायुक्तः (ते) तव (जयतु) (जेत्वानि) जेतुं योग्यानि शत्रुसैन्यानि ॥२६॥
भावार्थः
मनुष्यैर्धार्मिकेन बलवता मित्रता कार्या येन सर्वदा विजयः स्यात् ॥२६॥
हिन्दी (1)
विषय
फिर वह राजा कैसे मित्रों की इच्छा करे, इस विषय को कहते हैं ॥
पदार्थ
हे (वनस्पते) किरणों के पालन करनेवाले सूर्य्य के समान वर्त्तमान (हि) जिससे (वीङ्वङ्गः) बलिष्ठ अङ्ग जिसके वह (प्रतरणः) पार करनेवाले (सुवीरः) अच्छे प्रकार वीरों से युक्त (गोभिः) उत्तम प्रकार शिक्षित वाणियों के साथ (सन्नद्धः) अच्छे प्रकार तैयार हुए आप (असि) हो इससे (अस्मत्सखा) हम लोगों के मित्र (भूयाः) हूजिये और (आस्थाता) स्थिति से युक्त हुए हम लोगों को (वीळयस्व) दृढ़ कराइये (ते) आपकी सेना (जेत्वानि) जीतने योग्य शत्रुओं की सेनाओं को (जयतु) जीते ॥२६॥
भावार्थ
मनुष्यों को चाहिये कि धार्मिक बलवान् के साथ मित्रता करें, जिससे सर्वदा विजय हो ॥२६॥
मराठी (1)
भावार्थ
माणसांनी धार्मिक बलवानांबरोबर मैत्री करावी ज्यामुळे नेहमी विजय प्राप्त व्हावा. ॥ २६ ॥
इंग्लिश (1)
Meaning
O vanaspati, ruler, protector and promoter of forests and light of the sun for energy, be strong of your systemic body of governance and strong in the constituent parts of the system. Manned with noble young supporters, be our friend, pilot and saviour across the seas. You are self-controlled in mind and senses, strongly endowed with refined speech and manners, strengthen us who are committed to you, and let your forces win the battles with high morale.
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