अथर्ववेद - काण्ड 13/ सूक्त 4/ मन्त्र 33
सूक्त - ब्रह्मा
देवता - अध्यात्मम्
छन्दः - आसुरी गायत्री
सूक्तम् - अध्यात्म सूक्त
स वै दि॒वोजा॑यत॒ तस्मा॒द्द्यौरधि॑ अजायत ॥
स्वर सहित पद पाठस: । वै । दि॒व: । अ॒जा॒य॒त॒ । तस्मा॑त् । द्यौ: । अधि॑ । अ॒जा॒य॒त॒ ॥७.५॥
स्वर रहित मन्त्र
स वै दिवोजायत तस्माद्द्यौरधि अजायत ॥
स्वर रहित पद पाठस: । वै । दिव: । अजायत । तस्मात् । द्यौ: । अधि । अजायत ॥७.५॥
अथर्ववेद - काण्ड » 13; सूक्त » 4; मन्त्र » 33
भाषार्थ -
(सः वै) वह निश्चय से (दिवः) द्युलोक से (अजायत) प्रकट हुआ है, क्योंकि (तस्माद् अधि) उस से (द्यौः) द्युलोक (अजायत) पैदा हुआ है।