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  • अथर्ववेद - काण्ड 13/ सूक्त 4/ मन्त्र 9
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - अध्यात्मम् छन्दः - प्राजापत्यानुष्टुप् सूक्तम् - अध्यात्म सूक्त

    र॒श्मिभि॒र्नभ॒ आभृ॑तं महे॒न्द्र ए॒त्यावृ॑तः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    र॒श्मिऽभि॑: । नभ॑: । आऽभृ॑तम् । म॒हा॒ऽइ॒न्द्र: । ए॒ति॒ । आऽवृ॑त: ॥४.९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    रश्मिभिर्नभ आभृतं महेन्द्र एत्यावृतः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    रश्मिऽभि: । नभ: । आऽभृतम् । महाऽइन्द्र: । एति । आऽवृत: ॥४.९॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 13; सूक्त » 4; मन्त्र » 9

    भाषार्थ -
    रश्मियों द्वारा हृदयाकाश भर गया है, क्योंकि ढका हुआ महेश्वर हृदयाकाश में आया है। देखो (मन्त्र २)

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