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  • अथर्ववेद - काण्ड 13/ सूक्त 4/ मन्त्र 25
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - अध्यात्मम् छन्दः - एकपदासुरी गायत्री सूक्तम् - अध्यात्म सूक्त

    स ए॒व मृ॒त्युः सो॒मृतं॒ सो॒भ्वं स रक्षः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स: । ए॒व । मृ॒त्यु: । स: । अ॒मृत॑म् । स: । अ॒भ्व᳡म् । स: । रक्ष॑: ॥६.४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    स एव मृत्युः सोमृतं सोभ्वं स रक्षः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    स: । एव । मृत्यु: । स: । अमृतम् । स: । अभ्वम् । स: । रक्ष: ॥६.४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 13; सूक्त » 4; मन्त्र » 25

    भाषार्थ -
    (सः) वह सविता परमेश्वर (एव) ही (मृत्युः) मृत्यु है, (सः) वह (अमृतम्) अमृत है, (सः) वह (अभ्वम्) सृष्टि का अभाव करने वाला अर्थात् विनाशक है, (सः) यह (रक्षः) सृष्टि रक्षक है।

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