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  • अथर्ववेद - काण्ड 13/ सूक्त 4/ मन्त्र 55
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - अध्यात्मम् छन्दः - साम्न्युष्णिक् सूक्तम् - अध्यात्म सूक्त

    नम॑स्ते अस्तु पश्यत॒ पश्य॑ मा पश्यत ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    नम॑: । ते॒ । अ॒स्तु॒ । प॒श्य॒त॒ । पश्य॑ । मा॒ । प॒श्य॒त॒ ॥९.४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    नमस्ते अस्तु पश्यत पश्य मा पश्यत ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    नम: । ते । अस्तु । पश्यत । पश्य । मा । पश्यत ॥९.४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 13; सूक्त » 4; मन्त्र » 55

    भाषार्थ -
    (पश्यत) हे सर्वद्रष्टा सविता परमेश्वर ! (ते नमः अस्तु) तुम्हे नमस्कार हो, (पश्यत) हे सर्वद्रष्टः ! (मा) मुझे (पश्य) कृपादृष्टि से देख।

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