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  • अथर्ववेद - काण्ड 13/ सूक्त 4/ मन्त्र 10
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - अध्यात्मम् छन्दः - प्राजापत्यानुष्टुप् सूक्तम् - अध्यात्म सूक्त

    तस्ये॒मे नव॒ कोशा॑ विष्ट॒म्भा न॑व॒धा हि॒ताः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    तस्य॑ । इ॒मे । नव॑ । कोशा॑: । वि॒ष्ट॒म्भा: । न॒व॒ऽधा । हि॒ता: ॥४.१०॥


    स्वर रहित मन्त्र

    तस्येमे नव कोशा विष्टम्भा नवधा हिताः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    तस्य । इमे । नव । कोशा: । विष्टम्भा: । नवऽधा । हिता: ॥४.१०॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 13; सूक्त » 4; मन्त्र » 10

    भाषार्थ -
    (तस्य) उस सविता के (इमे) ये (नव) नौ (कोशाः) कोश हैं, (विष्टम्भाः१) जो कि सविता को थामे हुए हैं, और (नवधा) नौ प्रकार से (हिताः) स्थापित किये हैं।

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