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  • अथर्ववेद - काण्ड 13/ सूक्त 4/ मन्त्र 8
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - अध्यात्मम् छन्दः - प्राजापत्यानुष्टुप् सूक्तम् - अध्यात्म सूक्त

    तस्यै॒ष मारु॑तो ग॒णः स ए॑ति शि॒क्याकृ॑तः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    तस्य॑ । ए॒ष: । मारु॑त: । ग॒ण: । स: । ए॒ति॒ । शि॒क्याऽकृ॑त: ॥४.८॥


    स्वर रहित मन्त्र

    तस्यैष मारुतो गणः स एति शिक्याकृतः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    तस्य । एष: । मारुत: । गण: । स: । एति । शिक्याऽकृत: ॥४.८॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 13; सूक्त » 4; मन्त्र » 8

    भाषार्थ -
    (एषः मारुतः गणः) यह वायुओं का समूह (तस्य) उस सविता का है। (सः) वह वायु समूह (शिक्याकृतः) छिक्के में धरी वस्तु के समान (एति) गति करता है। सविता = परमेश्वर।

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