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  • अथर्ववेद - काण्ड 13/ सूक्त 4/ मन्त्र 41
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - अध्यात्मम् छन्दः - साम्नी बृहती सूक्तम् - अध्यात्म सूक्त

    स स्त॑नयति॒ स वि द्यो॑तते॒ स उ॒ अश्मा॑नमस्यति ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स: । स्त॒न॒य॒ति॒ । स: । वि । द्यो॒त॒ते॒ । स: । ऊं॒ इति॑ । अश्मा॑नम् । अ॒स्य॒ति॒ ॥७.१३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    स स्तनयति स वि द्योतते स उ अश्मानमस्यति ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    स: । स्तनयति । स: । वि । द्योतते । स: । ऊं इति । अश्मानम् । अस्यति ॥७.१३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 13; सूक्त » 4; मन्त्र » 41

    भाषार्थ -
    (सः) वह सविता-परमेश्वर (स्तनयति) गर्जता है, (सः) वह (विद्योतते) विद्युत् रूप में चमकता है, (स उ) वह ही (अश्मानम्) ओले (अस्यति) फैंकता है, बर्साता है।

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