अथर्ववेद - काण्ड 13/ सूक्त 4/ मन्त्र 35
सूक्त - ब्रह्मा
देवता - अध्यात्मम्
छन्दः - प्राजापत्यानुष्टुप्
सूक्तम् - अध्यात्म सूक्त
स वै भूमे॑रजायत॒ तस्मा॒द्भूमि॑रजायत ॥
स्वर सहित पद पाठस: । वै । भूमे॑: । अ॒जा॒य॒त॒ । तस्मा॑त् । भूमि॑: । अ॒जा॒य॒त॒ ॥७.७॥
स्वर रहित मन्त्र
स वै भूमेरजायत तस्माद्भूमिरजायत ॥
स्वर रहित पद पाठस: । वै । भूमे: । अजायत । तस्मात् । भूमि: । अजायत ॥७.७॥
अथर्ववेद - काण्ड » 13; सूक्त » 4; मन्त्र » 35
भाषार्थ -
(सः वै) वह निश्चय से (भुमेः) भूमि से (अजायत) प्रकट हुआ है, क्योंकि (तस्मात्) उस से (भूमिः) भूमि (अजायत) पैदा हुई है।