यजुर्वेद - अध्याय 11/ मन्त्र 52
तस्मा॒ऽअं॑र गमाम वो॒ यस्य॒ क्षया॑य॒ जिन्व॑थ। आपो॑ ज॒नय॑था च नः॥५२॥
स्वर सहित पद पाठतस्मै॑। अर॑म्। ग॒मा॒म॒। वः॒। यस्य॑। क्षया॑य। जिन्व॑थ। आपः॑। ज॒नय॑थ। च॒। नः॒ ॥५२ ॥
स्वर रहित मन्त्र
तस्माऽअरङ्गमाम वो यस्य क्षयाय जिन्वथ । आपो जनयथा च नः ॥
स्वर रहित पद पाठ
तस्मै। अरम्। गमाम। वः। यस्य। क्षयाय। जिन्वथ। आपः। जनयथ। च। नः॥५२॥
विषय - जलों, विद्वानों और पक्षान्तर में स्त्रियों के कर्त्तव्य ।
भावार्थ -
हे ( आपः ) आप्त पुरुषो ! आप लोग (यस्य) जिस ज्ञानरस से ( क्षयाय ) सुखपूर्वक इस संसार में निवास करने के लिये ( जिन्वथ ) समस्त प्राणियों को तृप्त करते हो, अपना ज्ञानरस प्रदान करते हो, हम ( तस्मै ) उस रसको ( अरम् ) पर्याप्त रूप से ( गमाम ) प्राप्त हों। और हे ( आपः ) आप्त पुरुषो ! आप लोग ( न: च ) हमें भी ( जनयथ ) योग्य बनाओ ॥ शत० ६ । ५ । १ । २ ॥ स्त्रियों के पक्ष में -- हे ( आपः ) जलके समान शीतल स्वभाववाली स्त्रियो ! (यस्य ) जिस आनन्द-रस के प्रेम और बल से ( क्षयाय ) गृहस्थ कार्य सम्पादन के लिये तुम ( जिन्वध ) सबको प्रसन्न एवं तृप्त करती हो । हम ( तस्मै ) उसी प्रेम सुख को ( अरम् गमाम ) भली प्रकार प्राप्त करें और तुम ही ( नः च जनयथ ) हमारे लिये सन्तान उत्पन्न करने में समर्थ हो ।
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर -
छषिदेवताच्छन्दःस्वराः पूर्वोक्ताः ॥
इस भाष्य को एडिट करेंAcknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
N/A
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
N/A
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
N/A
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
Shri Virendra Agarwal
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal