साइडबार
यजुर्वेद अध्याय - 12
1
2
3
4
5
6
7
8
9
10
11
12
13
14
15
16
17
18
19
20
21
22
23
24
25
26
27
28
29
30
31
32
33
34
35
36
37
38
39
40
41
42
43
44
45
46
47
48
49
50
51
52
53
54
55
56
57
58
59
60
61
62
63
64
65
66
67
68
69
70
71
72
73
74
75
76
77
78
79
80
81
82
83
84
85
86
87
88
89
90
91
92
93
94
95
96
97
98
99
100
101
102
103
104
105
106
107
108
109
110
111
112
113
114
115
116
117
मन्त्र चुनें
यजुर्वेद - अध्याय 12/ मन्त्र 103
ऋषिः - हिरण्यगर्भ ऋषिः
देवता - अग्निर्देवता
छन्दः - निचृदुष्णिक्
स्वरः - ऋषभः
1
अ॒भ्याव॑र्त्तस्व पृथिवि य॒ज्ञेन॒ पय॑सा स॒ह। व॒पां ते॑ऽअ॒ग्निरि॑षि॒तोऽअ॑रोहत्॥१०३॥
स्वर सहित पद पाठअ॒भि। आ। व॒र्त्त॒स्व॒। पृ॒थि॒वि॒। य॒ज्ञेन॑। पय॑सा। स॒ह। व॒पाम्। ते॒। अ॒ग्निः। इ॒षि॒तः। अ॒रो॒ह॒त् ॥१०३ ॥
स्वर रहित मन्त्र
अभ्या वर्तस्व पृथिवि यज्ञेन पयसा सह । वपाम्तेऽअग्निरिषितो अरोहत् ॥
स्वर रहित पद पाठ
अभि। आ। वर्त्तस्व। पृथिवि। यज्ञेन। पयसा। सह। वपाम्। ते। अग्निः। इषितः। अरोहत्॥१०३॥
विषय - पृथ्वी और स्त्री का कृषि एवं सन्तानोत्पत्ति का कर्त्तव्य ।
भावार्थ -
हे ( पृथिवि ) पृथिवि ! हे स्त्री ! तू ( यज्ञेन ) यज्ञ, परस्पर के प्रेमपूर्वक संग और ( पयसा ) जल, पुष्टिकारक अन्न और वीर्य के वर्तमान रह । ( सह ) साथ ( श्राने आवर्तस्व ) सब प्रकार से प्राप्त हो, ( इषितः ) कामनादान् अभिक्षावुक ( अग्निः ) अग्नि के समान तेजस्वी पुरुष राजा या पति ( ते वपान् ) तेरी वीजवपन करने की भूमि में ( अरोहत् ) वीज वपन कर और अन्न और पुत्र आदि प्राप्त करे ।
अर्थात् - ( पयसा सह यथा पृथिवी अभि आवर्तते ) मेघ के जल से जिस प्रकार पृथिवी युक्त होती हैं उसी प्रकार ( यज्ञेन पृथिवी अभ्यावर्तस्व ) हे स्त्री ! तू यज्ञ अर्थात् संगत पति से युक्त होकर रह । और ( यतिः ) तेजस्वी राजा जिल प्रकार इच्छानुकूल प्रजाओं द्वारा चाहा जाकर ( ते वदाम् ) तेरी उत्पादक शक्ति पर अधिष्ठाता रूप से विराजता है उसी प्रकार ( अग्निः ) तेजःस्वरूप वीर्य ( इषितः ) स्त्री की इच्छानुसार प्राप्त होकर (ते वपां ) तेरी सन्तानोत्पादक शक्ति को प्राप्त कर ( अरोहत् ) सन्तान रूप से बढ़े ॥ शत० ७ । ३ । १ । २१ ॥
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - अग्निर्देवता । निचृदुष्णिक् । ऋषभः ॥
इस भाष्य को एडिट करेंAcknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
N/A
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
N/A
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
N/A
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
Shri Virendra Agarwal
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal