साइडबार
यजुर्वेद अध्याय - 12
1
2
3
4
5
6
7
8
9
10
11
12
13
14
15
16
17
18
19
20
21
22
23
24
25
26
27
28
29
30
31
32
33
34
35
36
37
38
39
40
41
42
43
44
45
46
47
48
49
50
51
52
53
54
55
56
57
58
59
60
61
62
63
64
65
66
67
68
69
70
71
72
73
74
75
76
77
78
79
80
81
82
83
84
85
86
87
88
89
90
91
92
93
94
95
96
97
98
99
100
101
102
103
104
105
106
107
108
109
110
111
112
113
114
115
116
117
मन्त्र चुनें
यजुर्वेद - अध्याय 12/ मन्त्र 73
ऋषिः - कुमारहारित ऋषिः
देवता - अघ्न्या देवताः
छन्दः - भुरिगार्षी गायत्री
स्वरः - षड्जः
0
विमु॑च्यध्वमघ्न्या देवयाना॒ऽअग॑न्म॒ तम॑सस्पा॒रम॒स्य। ज्योति॑रापाम॥७३॥
स्वर सहित पद पाठवि। मु॒च्य॒ध्व॒म्। अ॒घ्न्याः॒। दे॒व॒या॒ना॒ इति॑ देवऽयानाः। अग॑न्म। तम॑सः। पा॒रम्। अ॒स्य। ज्योतिः॑। आ॒पा॒म॒ ॥७३ ॥
स्वर रहित मन्त्र
विमुच्यध्वमघ्न्या देवयाना अगन्म तमसस्पारमस्य ज्योतिरापाम ॥
स्वर रहित पद पाठ
वि। मुच्यध्वम्। अघ्न्याः। देवयाना इति देवऽयानाः। अगन्म। तमसः। पारम्। अस्य। ज्योतिः। आपाम॥७३॥
विषय - योगियों का वर्णन । पक्षान्तर में और पशुपालन व्यवहार ।
भावार्थ -
हे विद्वान् पुरुषो ! ( अघ्न्याः ) कभी न मारने योग्य, रक्षा करने योग्य ( देवयानाः ) देव-दिव्य भोगों को प्राप्त करानेवाले बैलों को ( वि मुच्यध्वम् ) सायंकाल मुक्त करो। हम लोग ( अस्य ) इस ( तमसः ) रात्रि के अन्धकार के ( पारम् अगन्म ) पार प्राप्त होवें । ( ज्योतिः आपाम ) पुनः सूर्य के प्रकाश को प्राप्त करें । अर्थात् सायंकाल को बैल जुओं से खोल दिये जांय । रात बीतने पर तो प्रातःकाल ही पुनः कृषि कार्य में लगें ।
अथवा - हे ( अघ्न्याः ) अविनाशी देवयान से गति करनेवाले योगी जनो ! (विमुच्यध्वम् ) विशेषरूप से मुक्त होने का यत्न करो । ( तमसः पारम् अगन्म ) हम सब अन्धकार बन्धन से पार हो और ( ज्योतिः अपाम ) ब्रह्ममय ज्योति को प्राप्त करें ।
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - लिंगोक्ता देवता । गायत्री । षड्जः ॥
इस भाष्य को एडिट करेंAcknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
N/A
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
N/A
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
N/A
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
Shri Virendra Agarwal
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal