Loading...

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 12/ सूक्त 4/ मन्त्र 3
    सूक्त - कश्यपः देवता - वशा छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - वशा गौ सूक्त

    कू॒टया॑स्य॒ सं शी॑र्यन्ते श्लो॒णया॑ का॒टम॑र्दति। ब॒ण्डया॑ दह्यन्ते गृ॒हाः का॒णया॑ दीयते॒ स्वम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    कू॒टया॑ । अ॒स्य॒ । सम् । शी॒र्य॒न्ते॒ । श्लो॒णया॑ । का॒टम् । अ॒र्द॒ति॒ । ब॒ण्डया॑ । द॒ह्य॒न्ते॒ । गृ॒हा: । का॒णया॑ । दी॒य॒ते॒ । स्वम् ॥४.३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    कूटयास्य सं शीर्यन्ते श्लोणया काटमर्दति। बण्डया दह्यन्ते गृहाः काणया दीयते स्वम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    कूटया । अस्य । सम् । शीर्यन्ते । श्लोणया । काटम् । अर्दति । बण्डया । दह्यन्ते । गृहा: । काणया । दीयते । स्वम् ॥४.३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 12; सूक्त » 4; मन्त्र » 3

    पदार्थ -

    १. (कूटया) = [कूट दानाभावे to abstain from giving] वेदवाणी के न देने से (अस्य संशीयन्ते) = इस राष्ट्र के पुरुष शीर्ण [नष्ट] हो जाते हैं। [कूटा A cow whose horns are broken] [शिक्षा प्राणं तु वेदस्य, मुर्ख व्याकरणं स्मृतम्। निरुक्तं श्रोत्रमुच्यते] (कूटया) = 'शिक्षा, व्याकरण व निरुक्त' के बिना वेदवाणी से (अस्य सं शीर्यन्ते) = इस राष्ट्र के पुरुष शीर्ण ही होते हैं। (श्लोणया) = [cripple छन्दः पादौ तु वेदस्य 'शिक्षा'] छन्दोरहित अतएव लंगड़ी वेदवाणी से (काटम् अर्दति) = [अर्द गती, कम् well] कुएँ में पड़ता है, अर्थात् वेदवाणी को छन्दों के ज्ञान के साथ ग्रहण करने से ही उसका ठीक भाव अवगत होता है। २. (बण्डया) = [A cow without a tail] [हस्तौ कल्पोऽथ पठ्यते] कल्पमय हाथों से रहित लूली वेदवाणी से गृहाः दान्ते-घर भस्म हो जाते हैं। 'कल्प' अनुष्ठान का प्रतिपादन करते हैं। यदि वेदों को पढ़कर भी तद्विहित यज्ञों का अनुष्ठान न होगा तो घरों का क्या कल्याण होना? (काणया) = [ज्योतिषमयनं चक्षुः, निरुक्तं श्रोत्रमुच्यते] ज्योतिष के ज्ञान से रहित वेदवाणी से (स्वं दीयते) = ज्ञानधन का विनाश ही होता है [दी क्षये], अर्थात् वेद को ठीक प्रकार से समझने के लिए ज्योतिष [नक्षत्रविद्या] को समझना भी आवश्यक है।

    भावार्थ -

    वेदवाणी को ठीक से समझने के लिए 'शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द व ज्योतिष' इन अङ्गों का अध्ययन नितान्त आवश्यक है।

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top