Loading...
मन्त्र चुनें
  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 5/ मन्त्र 19
    ऋषिः - अथर्वाचार्यः देवता - ब्रह्मगवी छन्दः - प्राजापत्यानुष्टुप् सूक्तम् - ब्रह्मगवी सूक्त
    78

    हे॒तिः श॒फानु॑त्खि॒दन्ती॑ महादे॒वो॒पेक्ष॑माणा ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    हे॒ति: । श॒फान् । उ॒त्ऽखि॒दन्ती॑ । म॒हा॒ऽदे॒व: । अ॒प॒ऽईक्ष॑माणा । ७.८॥


    स्वर रहित मन्त्र

    हेतिः शफानुत्खिदन्ती महादेवोपेक्षमाणा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    हेति: । शफान् । उत्ऽखिदन्ती । महाऽदेव: । अपऽईक्षमाणा । ७.८॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 12; सूक्त » 5; मन्त्र » 19
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    वेदवाणी रोकने के दोषों का उपदेश।

    पदार्थ

    वह [वेदवाणी] [पापी के] (शफान्) शान्तिव्यवहारों को (उत्खिदन्ती) नाश करती हुई (हेतिः) वज्ररूप है, और (अपेक्षमाणा) सब ओर दृष्टि फैलाती हुई वह (महादेवः) बड़े विजय चाहनेवाले [शूर पुरुष के समान] है ॥१९॥

    भावार्थ

    वेदवाणी की प्रवृत्ति में विघ्नकारी पुरुष मूर्खता के कारण सर्वथा नष्ट हो जाता है ॥१९॥

    टिप्पणी

    १९−(हेतिः) हन हिंसागत्योः−क्तिन्। वज्रः−निघ० २।२०। (शफान्) शम शान्तौ आलोचने च−अच्, भस्य फः। शान्तिव्यवहारान् (उत्खिदन्ती) खिद परिघाते दैन्ये च−शतृ। सर्वतो नाशयन्ती (महादेवः) दिवु विजिगीषायाम्−अच्। महाविजिगीषुः शूरपुरुषो यथा (अपेक्षमाणा) सर्वतो दृष्टिं कुर्वाणा ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    मेनिः + हेतिः

    पदार्थ

    १. (सा) = वह निरुद्ध ब्रह्मगवी (हि) = निश्चय से (शतवधा मेनिः) = सैकड़ों प्रकार से वध करनेवाला वज़ हो है। ब्रह्मण्यस्य ज्ञान का हिंसन करनेवालों की (सा) = वह (हि) = निश्चय से (क्षिति:) = विनाशिका है [क्षि क्षये] । (तस्मात्) = उस कारण से यह (ब्राह्मणानां गौ:) = ब्राह्मणों की वाणी (विजानता) = समझदार पुरुष से (वै) = निश्चय ही (दुराधर्षा) = सर्वथा दुर्जेय होती है-वह इसका घर्षण नहीं करता। २. यदि नासमझी के कारण इसका घर्षण हुआ तो (धावन्ती) = राष्ट्र में से भागती हुई यह ब्रह्मगवी (वज्रः) = वन ही होती है और (उद्वीता) = [throw, cast] बाहर फेंकी गई [निर्वासित हुई-हुई] यह ब्रह्मगवी (वैश्वानरः) = अग्नि ही हो जाती है, अर्थात् यह राष्ट्र से दूर की गई ब्रह्मगवी वज़ के समान घातक व अग्नि के समान जलानेवाली होती है। पीड़ित होने पर (शफान् उत्खिदन्ती) = [Strike] अपने शफों [खुरों] को ऊपर आहत करती हुई यह (हेति:) = हनन करनेवाला आयुध बनती है, और (अप ईक्षमाणा) = [Stand in need of] सहायता के लिए इधर-उधर देखती हुई, किसी रक्षक को चाहती हुई यह ब्रह्मगवी (महादेवः) = प्रलयंकर महादेव ही हो जाती है, अर्थात् जिस राष्ट्र में यह ब्रह्मगवी अत्याचारित होकर सहायता की अपेक्षावारली होती है, वहाँ यह प्रलय ही मचा देती है।

    भावार्थ

    प्रतिबन्ध को प्राप्त हुई-हुई ब्रह्मगवी राष्ट्र के विनाश का कारण बनती है।

    इस भाष्य को एडिट करें

    भाषार्थ

    (शफान् उत्खिदन्ती) खेद में खुरों को उठा-उठा कर पटकती हुई (हेतिः) अस्त्र या वज्र है। (अपेक्षमाणा) अपेक्षा करती हुई (महादेवः) महादेव है।

    टिप्पणी

    [हेतिः = हि गतौ, या "हतिर्हन्तेः" (निरु० ६।१।३)। हेतिर्वज्रनाम (निघं० २।२०)। उत्खिदन्ती = उत् + खिद् (खेदे)। महादेवः = महान् देवाधिदेव ब्रह्म। जैसे सृष्टि रचनार्थ, ईक्षण करता हुआ ब्रह्म ("स ऐक्षत" ऐतरेय २।३; ३।१) ईक्षतेर्नाशब्दम् (वेदान्त) प्रकृति तथा जीवात्माओं के कर्मों की अपेक्षा करता है और उसे ये दोनों सहायक कारण, प्राप्त हो जाते हैं, वैसे ही खेद में सहायता की अपेक्षा करने वाली गो जाति को ब्राह्मण नेता सहायक रूप, प्राप्त हो जाते हैं।

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    ब्रह्मगवी का वर्णन।

    भावार्थ

    (हेतिः शफान् उत्खिदन्ती) अपने खुर ऊपर उठा उठा कर मारती हुई, बाण या अस्त्र होकर जाती है और वह (महादेवः अपेक्षमाणा) दूर दूर तक देखती हुई मानो साक्षात् महादेव के समान हो जाती है।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    ऋषिर्देवताच पूर्वोक्ते। १२ विराड् विषमा गायत्री, १३ आसुरी अनुष्टुप्, १४, २६ साम्नी उष्णिक, १५ गायत्री, १६, १७, १९, २० प्राजापत्यानुष्टुप्, १८ याजुषी जगती, २१, २५ साम्नी अनुष्टुप, २२ साम्नी बृहती, २३ याजुषीत्रिष्टुप्, २४ आसुरीगायत्री, २७ आर्ची उष्णिक्। षोडशर्चं सूक्तम्॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    इंग्लिश (4)

    Subject

    Divine Cow

    Meaning

    Raising her hoof, she is a strike of thunder, when looked up to with hope and expectation, she is a grand divinity.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    A missile when extracting her hoofs, the great god when looking away.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    When she draws her hoofs she is a deadly weapon and she looks around she is Mahadeva, the uncontrolled fire.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    It acts as a thunderbolt completely annihilating the usages and practices of a sinner. It acts as a conquest-loving hero throwing light on all topics.

    इस भाष्य को एडिट करें

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    १९−(हेतिः) हन हिंसागत्योः−क्तिन्। वज्रः−निघ० २।२०। (शफान्) शम शान्तौ आलोचने च−अच्, भस्य फः। शान्तिव्यवहारान् (उत्खिदन्ती) खिद परिघाते दैन्ये च−शतृ। सर्वतो नाशयन्ती (महादेवः) दिवु विजिगीषायाम्−अच्। महाविजिगीषुः शूरपुरुषो यथा (अपेक्षमाणा) सर्वतो दृष्टिं कुर्वाणा ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top