Loading...
मन्त्र चुनें
  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 5/ मन्त्र 39
    ऋषिः - अथर्वाचार्यः देवता - ब्रह्मगवी छन्दः - साम्नी पङ्क्तिः सूक्तम् - ब्रह्मगवी सूक्त
    67

    तस्या॑ आ॒हन॑नं कृ॒त्या मे॒निरा॒शस॑नं वल॒ग ऊब॑ध्यम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    तस्या॑: । आ॒ऽहन॑नम् । कृ॒त्या । मे॒नि: । आ॒ऽशस॑नम्। व॒ल॒ग: । ऊब॑ध्यम् ॥९.१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    तस्या आहननं कृत्या मेनिराशसनं वलग ऊबध्यम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    तस्या: । आऽहननम् । कृत्या । मेनि: । आऽशसनम्। वलग: । ऊबध्यम् ॥९.१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 12; सूक्त » 5; मन्त्र » 39
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    वेदवाणी रोकने के दोषों का उपदेश।

    पदार्थ

    (तस्याः) उस [वेदवाणी] का (आहननम्) ताड़ना [वेदनिन्दक के लिये] (कृत्या) हिंसा क्रिया, (आशसनम्) [उसको] पीड़ा देना (मेनिः) [उसके लिये] वज्र, और [ऊबध्यम्] [उसका] दुष्ट बन्धक (वलगः) [उसके लिये] दुःख है ॥३९॥

    भावार्थ

    वेदनिन्दक लोग अपने कुस्वभाव और कुव्यवहार के कारण दुःख भोगते हैं ॥३९॥

    टिप्पणी

    ३९−(तस्याः) ब्रह्मगव्याः (आहननम्) समन्तात्ताडनम् (कृत्या) म० १२। हिंसाक्रिया (मेनिः) वज्रः (आशसनम्) शसु हिंसायाम्−ल्युट्। सर्वथा हिंसनम् (वलगः) अ० ५।३१।४। मुदिग्रोर्गग्गौ। उ० १।१२८। बल वधे−ग प्रत्ययः, अकारागमः। वधः (ऊबध्यम्) अ० ९।४।१६। दुर्+बध संयमने=बन्धने−यत्, दुर् इत्यस्य स्थाने ऊत्त्वम्। दुर्बन्धनम् ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    सर्वविनाश

    पदार्थ

    १. (तस्याः) = उस ब्रह्मगवी का (आहननम्) = मारना (कृत्या) = अपनी हिंसा करना है, (आशसनम्) = उसका टुकड़े करना (मेनि:) = वज्राघात के समान है, (ऊबध्यम्) = [दुर् बन्धनम्] उसको बुरी तरह से बाँधना (वलग:) = [वल+ग] हलचल की ओर ले-जानेवाला है-प्रजा में विप्लव को पैदा करनेवाला है। २. (परिह्रुता) = [हु अपनयने] अपनीता व चुरा ली गई यह ब्रह्मगवी (अस्व-गता) = निर्धनता की ओर गम वाली होती है-यह निर्धनता को उत्पन्न कर देती है। उस समय यह ब्रह्मगवी (क्रव्यात् अग्निः भूत्वा) = कच्चा मांस खा-जानेवाली अग्नि बनकर (ब्रह्मज्यं प्रविश्य अत्ति) = ब्रह्म की हानि करनेवाले में प्रवेश करके उसे खा जाती है। (अस्य) = इसके (सर्वा अङ्गा) = सब अङ्गों को (पर्वा) = पर्वों को-जोड़ों को व (मूलानि) = मूलों को (वृश्चति) = छिन्न कर देती है।

    भावार्थ

    विनष्ट की गई ब्रह्मगवी विनाश का ही कारण बनती है।

    इस भाष्य को एडिट करें

    भाषार्थ

    (तस्याः) उस गौ की (आहननम्) हत्या (कृत्या) कृत्यारूप है, (आशसनम्) काटना (मेनिः) वज्ररूप और (ऊबध्यम्) पेट का मल (वलगः) घेरा डाल कर चलने वाला अस्त्ररूप है।

    टिप्पणी

    [कृत्या= कृती छेदने; काटने का शास्त्रविशेष। मेनिः वज्रनाम (निघं० २।२०) वलगः = वल (संवरणे) + ग (गच्छति), जो अस्त्र को फूट कर, घेरा डाल कर आगे-आगे बढ़ता जाता है। "वलग" भूमि में गाड़ा जाता है। यथा- "वलगं वा निचख्नुः" (अथर्व १०।१।१८)। अभिप्राय यह कि गौ की हत्या उसके काटने, और भय के कारण पेट के मल के निकल जाने पर, गोरक्षकः कृत्या आदि साधनों द्वारा घातक पर आक्रमण करते हैं]

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    ब्रह्मगवी का वर्णन।

    भावार्थ

    (तस्याः) उस ब्रह्मगवी का (आहननं) मारना (कृत्या) घातकारी गुप्त प्रयोग के समान है। (आशसनम्) उसका खण्ड खण्ड करना (मेनिः) घोर वज्र के समान है (ऊबध्यम्) उसके भीतर का अलादि (बलगः) गुप्त हत्या प्रयोग के समान है।

    टिप्पणी

    ‘तस्पाहन’ इति पैप्प० सं०।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    ऋषिर्देवता च पूर्वोक्ते। ३९ साम्नी पंक्ति:, ४० याजुषी अनुष्टुप्, ४१, ४६ भुरिक् साम्नी अनुष्टुप, ४२ आसुरी बृहती, ४३ साम्नी वृहती, ४४ पिपीलिकामध्याऽनुष्टुप्, ४५ आर्ची बृहती। अष्टर्चं पञ्चमं पर्यायसूक्तम्॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    इंग्लिश (4)

    Subject

    Divine Cow

    Meaning

    Violation and killing of the Divine Cow means self-execution of the violator, carving is strike of the thunderbolt, and arresting or waste is self-decay.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Subject

    PARYAYA - V

    Translation

    The slaying of her is witchcraft, her cutting up is a weapon, the contents of her bowels a secret charm.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    Her slaughter is like the sin of air attack with killing devices, her cutting up is thunder-bolt and the grass which is not digested by her is decay.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    Its censure is an act of violence. To injure its cause is dreadful like a thunderbolt. Its forcible limitation is highly painful.

    इस भाष्य को एडिट करें

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ३९−(तस्याः) ब्रह्मगव्याः (आहननम्) समन्तात्ताडनम् (कृत्या) म० १२। हिंसाक्रिया (मेनिः) वज्रः (आशसनम्) शसु हिंसायाम्−ल्युट्। सर्वथा हिंसनम् (वलगः) अ० ५।३१।४। मुदिग्रोर्गग्गौ। उ० १।१२८। बल वधे−ग प्रत्ययः, अकारागमः। वधः (ऊबध्यम्) अ० ९।४।१६। दुर्+बध संयमने=बन्धने−यत्, दुर् इत्यस्य स्थाने ऊत्त्वम्। दुर्बन्धनम् ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top