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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 10/ मन्त्र 5
    ऋषिः - अथर्वाचार्यः देवता - विराट् छन्दः - चतुष्पदा प्राजापत्या पङ्क्तिः सूक्तम् - विराट् सूक्त
    56

    सोद॑क्राम॒त्सा दे॒वानाग॑च्छ॒त्तां दे॒वा अ॑घ्नत॒ सार्ध॑मा॒से सम॑भवत्।

    स्वर सहित पद पाठ

    सा । उत् । अ॒क्रा॒म॒त् । सा । दे॒वान् । आ । अ॒ग॒च्छ॒त् । ताम् । दे॒वा: । अ॒घ्न॒त॒ । सा । अ॒र्ध॒ऽमा॒से । सम् । अ॒भ॒व॒त् ॥१२.५॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सोदक्रामत्सा देवानागच्छत्तां देवा अघ्नत सार्धमासे समभवत्।

    स्वर रहित पद पाठ

    सा । उत् । अक्रामत् । सा । देवान् । आ । अगच्छत् । ताम् । देवा: । अघ्नत । सा । अर्धऽमासे । सम् । अभवत् ॥१२.५॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 8; सूक्त » 10; पर्यायः » 3; मन्त्र » 5
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    ब्रह्मविद्या का उपदेश।

    पदार्थ

    (सा उत् अक्रामत्) वह [विराट्] ऊपर चढ़ी, (सा) वह (देवान्) सूर्य की किरणों में (आ अगच्छत्) आयी, (ताम्) उसको (देवाः) किरणें (अघ्नत) प्राप्त हुए, (सा) वह (अर्धमासे) आधे महीने [पखवाड़े] में (सम् अभवत्) संयुक्त हुयी ॥५॥

    भावार्थ

    ईश्वरशक्ति किरणों द्वारा अर्ध मास आदि समय उत्पन्न करती है ॥५॥

    टिप्पणी

    ५−(देवान्) देवो दानाद्वा दीपनाद् वा द्योतनाद्वा द्युस्थानो भवतीति वा-निरु० ७।१५। देवाः रश्मयः, इति दुर्गाचार्यनिरुक्तटीकायाम्-१२।३९। आदित्यरश्मीन् (अर्धमासे) मासपक्षकाले। अन्यत् पूर्ववत् ॥

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    विषय

    देवों का विराट को प्राप्त होना

    पदार्थ

    १. (सा उदक्रामत्) = वह विराट् उत्क्रान्त हुई। (सा देवान् आगच्छत्) = वह देवों को प्राप्त हुई। (देवा:) = देव (ताम् अघ्रत) = उसे प्राप्त हुए। (सा) = वह (अर्धमासे सम् अभवत्) = प्रत्येक अर्धमास में उनके साथ रही। (तस्मात) = इसी कारण से (देवेभ्यः) = देवों के लिए (अर्धमासे) = प्रत्येक अर्धमास पर. अर्थात् प्रत्येक पक्ष पर पूर्णिमा और अमावास्या के दिन (वषट् कुर्वन्ति) = अग्निहोत्र करते हैं। (यः एवं वेद) = जो इस तत्त्व को समझ लेता है कि प्रति पूर्णिमा और अमावास्या पर विशिष्ट यज्ञ करके वायु आदि देवों को शुद्ध करना आवश्यक है, वह (देवयानं पन्थां प्रजानाति) = देवयान मार्ग को भली प्रकार जान लेता है। इस देवयान मार्ग में चलता हुआ वह पुरुष 'सुर्यलोक' को प्राप्त करता है। सूर्य ही सर्वमुख्य देव है। देवयज्ञ करनेवाला सूर्यलोक को प्राप्त करता ही है।

    भावार्थ

    वायु आदि देवों की शुद्धि के लिए विराट्वाले देश में, पूर्णिमा व अमावास्या पर बड़े-बड़े यज्ञ होते हैं। इन यज्ञों के करनेवाले देवलोक को प्राप्त होते हैं।

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    भाषार्थ

    (सा) वह विराट् (उदक्रामत्) उत्क्रान्त हुई, समुन्नत हुई, (सा) वह (देवान्) द्युतिसम्पन्न चान्द्र कलाओं में (आगच्छत्) आई, (ताम्) उसे (देवाः) द्युतिसम्पन्न चान्द्र कलाओं ने (अघ्नत) प्राप्त किया। (सा) वह (अर्धमासे) अर्धमास में (सम्, अभवत्) प्रकट हुई।

    टिप्पणी

    [अर्धमास का अभिप्राय चन्द्रमा के दो पक्ष प्रतीत होते हैं। ये दोनों अर्धमास हैं। चन्द्रमा देव है यथा “अग्निर्देवता वातो देवता सूर्यो देवता चन्द्रमा देवता..." (यजु० १४।२०)। अतः चन्द्रमा की कलाएं भी, देवता की कलाएं होती हुई, देवता या देव हैं]।

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    विषय

    विराड् के ४ रूप, वनस्पति, पितृ, देव और मनुष्यों के बीच में क्रम से रस, वेतन, तेज और अन्न।

    भावार्थ

    (सा उद् अक्रामत्) वह विराट् ऊपर उठी, (सा देवानु,आ अगच्छत्) वह देव, विद्वानों के पास प्राप्त हुई। (तां देवाः अघ्नत) उसको देवगण प्राप्त हुए। (सा अर्धमासे सम् अभवत्) वह आधे मास भर उनके संग रही। (तस्मात्) इसलिये (देवेभ्यः अर्धमासे वषट् कुर्वन्ति) देवगण विद्वान् लोगों को आधे मास पर प्रति पक्ष, पर्व के दिन ‘वषट्’ सत्कार सहित पालन रूप से अन्न आदि दिया जाता है। (यः एवं वेद) जो इस प्रकार के रहस्य को जान लेता है वह (देवयानं पन्थां प्रजानाति) देवयान मार्ग को भली प्रकार जान लेता है।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    अथर्वाचार्य ऋषिः। विराड् देवता। १ चतुष्पदा विराड् अनुष्टुपू। २ आर्ची त्रिष्टुप्। ३,५,७ चतुष्पदः प्राजापत्याः पंक्तयः। ४, ६, ८ आर्चीबृहती।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Virat

    Meaning

    Virat proceeded on and came to the Devas. Devas received and welcomed it. It joined and manifested in the half month.

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    Translation

    She moved up. She came to the enlightened ones (Devan). The enlightened ones smote her. In half-a- month (ardhamase), she came into being (again).

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    Translation

    This rose up and this came to the enlightened persons. They did wound it. This got the wound healed in a fortnight.

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    Translation

    The glory of God arose. She approached the sages. They welcomed her. She lived with them for half a month.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ५−(देवान्) देवो दानाद्वा दीपनाद् वा द्योतनाद्वा द्युस्थानो भवतीति वा-निरु० ७।१५। देवाः रश्मयः, इति दुर्गाचार्यनिरुक्तटीकायाम्-१२।३९। आदित्यरश्मीन् (अर्धमासे) मासपक्षकाले। अन्यत् पूर्ववत् ॥

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