अथर्ववेद - काण्ड 11/ सूक्त 3/ मन्त्र 7
सूक्त - अथर्वा
देवता - बार्हस्पत्यौदनः
छन्दः - प्राजापत्यानुष्टुप्
सूक्तम् - ओदन सूक्त
श्या॒ममयो॑ऽस्य मां॒सानि॒ लोहि॑तमस्य॒ लोहि॑तम् ॥
स्वर सहित पद पाठश्या॒मम् । अय॑: । अ॒स्य॒ । मां॒सानि॑ । लोहि॑तम् । अ॒स्य॒ । लोहि॑तम् ॥३.७॥
स्वर रहित मन्त्र
श्याममयोऽस्य मांसानि लोहितमस्य लोहितम् ॥
स्वर रहित पद पाठश्यामम् । अय: । अस्य । मांसानि । लोहितम् । अस्य । लोहितम् ॥३.७॥
अथर्ववेद - काण्ड » 11; सूक्त » 3; मन्त्र » 7
भाषार्थ -
(श्यामम्, अयः) काला लोहा, (अस्य) इस [ओदन-ब्रह्म] का (मांसानि) कृष्योदन सम्बन्धी मांस स्थानी है। (लोहितम्) लाल लोहा अर्थात् ताम्बा, (अस्य) इस [ओदन-ब्रह्म] का (लोहितम्) साठी नामक लाल ओदन सम्बन्धी लालिमा स्थानी है।
टिप्पणी -
[साठी के धान का कौन सा भाग मांसस्थानी है,और उस की प्रतिरूपता, काले-लोहे के साथ किस प्रकार सम्भव है - यह विचारणीय है। मांस शब्द, केवल प्राणिमांस के लिये ही प्रयुक्त नहीं होता। इस का प्रयोग फलों के गुच्छे आदि के लिये भी होता है। यथा "यथा वृक्षो वनस्पतिस्तथैव पुरुषोऽमृषा॥ तस्य लोमानि पर्णानि त्वगस्योत्पाटिका बहिः॥ त्वच एवास्य रुधिरं प्रस्यन्दि त्वच उत्पटः॥ तस्मात्तदातृन्नात्प्रैति रसो वृक्षादिवाऽऽहतात्॥ मासान्यस्य शकराणि किनाट स्नाव तत्स्थिरम्॥ अस्थीन्यन्तरतो दारुणि मज्जा मज्जोपमा कृता॥" (बृहदा० उप० ३/९/२८) में, पुरुष के सदृश, वृक्ष में भी, मांस, त्वचा, रुधिर, अस्थि आदि सत्ता प्रतिपादित की है। तथा मांसम् = The fleshy part of a fruit (आप्टे)]।