अथर्ववेद - काण्ड 11/ सूक्त 3/ मन्त्र 8
सूक्त - अथर्वा
देवता - बार्हस्पत्यौदनः
छन्दः - साम्न्यनुष्टुप्
सूक्तम् - ओदन सूक्त
त्रपु॒ भस्म॒ हरि॑तं॒ वर्णः॒ पुष्क॑रमस्य ग॒न्धः ॥
स्वर सहित पद पाठत्रपु॑ । भस्म॑ । हरि॑तम् । वर्ण॑: । पुष्क॑रम् । अ॒स्य॒ । ग॒न्ध: ॥३.८॥
स्वर रहित मन्त्र
त्रपु भस्म हरितं वर्णः पुष्करमस्य गन्धः ॥
स्वर रहित पद पाठत्रपु । भस्म । हरितम् । वर्ण: । पुष्करम् । अस्य । गन्ध: ॥३.८॥
अथर्ववेद - काण्ड » 11; सूक्त » 3; मन्त्र » 8
भाषार्थ -
(त्रपु) सीसा (भस्म) भस्मस्थानी है, (हरितम्) हेम अर्थात् सुवर्ण (वर्णः) पीत वर्ण स्थानी है, (पुष्करम्) कमल (अस्य) इस का (गन्धः) गन्ध स्थानी है।
टिप्पणी -
[त्रपु काला सा होता है, ओदन पाकानन्तर बची भस्म भी काली सी होती है। केसर का पुट देकर ओदन का निखरा पीत वर्ण सुवर्ण के पीतवर्ण के सदृश होता है। तथा इसे इस प्रकार पकाना चाहिये कि कमल के गन्ध के सदृश ओदन का गन्ध हो जाय। हरितम्= हेम (सायण)। हरित् = yellow (आप्टे)। त्रपु, हरित और पुष्कर का सम्बन्ध ओदन-ब्रह्म के साथ है और वर्ण तथा गन्ध का सम्बन्ध कृष्योदन के साथ है। यह परस्पर प्रतिरूपता ओदन-ब्रह्म तथा ओदन कृषि में दर्शाई है]।