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  • अथर्ववेद - काण्ड 18/ सूक्त 4/ मन्त्र 79
    सूक्त - यम, मन्त्रोक्त देवता - आसुरी पङ्क्ति छन्दः - अथर्वा सूक्तम् - पितृमेध सूक्त

    स्व॑धापि॒तृभ्यो॑ अन्तरिक्ष॒सद्भ्यः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स्व॒धा । पि॒तृऽभ्य॑: । अ॒न्त॒र‍ि॒क्ष॒सत्ऽभ्य॑: ॥४.७९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    स्वधापितृभ्यो अन्तरिक्षसद्भ्यः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    स्वधा । पितृऽभ्य: । अन्तर‍िक्षसत्ऽभ्य: ॥४.७९॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 18; सूक्त » 4; मन्त्र » 79

    टिप्पणीः - ७९−(अन्तरिक्षसद्भ्यः)आकाशविद्यायां गतिशीलेभ्यः। अन्यत् पूर्ववत् ॥

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