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  • अथर्ववेद - काण्ड 12/ सूक्त 3/ मन्त्र 28
    सूक्त - यमः देवता - स्वर्गः, ओदनः, अग्निः छन्दः - त्रिष्टुप् सूक्तम् - स्वर्गौदन सूक्त

    संख्या॑ता स्तो॒काः पृ॑थि॒वीं स॑चन्ते प्राणापा॒नैः संमि॑ता॒ ओष॑धीभिः। असं॑ख्याता ओ॒प्यमा॑नाः सु॒वर्णाः॒ सर्वं॒ व्यापुः॒ शुच॑यः शुचि॒त्वम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    सम्ऽख्या॑ता: । स्तो॒का: । पृ॒थि॒वीम् । स॒च॒न्ते॒ । प्रा॒णा॒पा॒नै: । सम्ऽमि॑ता: । ओष॑धीभि: । अस॑म्ऽख्याता: । आ॒ऽउ॒प्यमा॑ना: । सु॒ऽवर्णा॑: । सर्व॑म्‌ । वि । आ॒पु॒: । शुच॑य: । शु॒चि॒ऽत्वम् ॥३.२८॥


    स्वर रहित मन्त्र

    संख्याता स्तोकाः पृथिवीं सचन्ते प्राणापानैः संमिता ओषधीभिः। असंख्याता ओप्यमानाः सुवर्णाः सर्वं व्यापुः शुचयः शुचित्वम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    सम्ऽख्याता: । स्तोका: । पृथिवीम् । सचन्ते । प्राणापानै: । सम्ऽमिता: । ओषधीभि: । असम्ऽख्याता: । आऽउप्यमाना: । सुऽवर्णा: । सर्वम्‌ । वि । आपु: । शुचय: । शुचिऽत्वम् ॥३.२८॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 12; सूक्त » 3; मन्त्र » 28

    पदार्थ -

    १. (संख्याताः) = [चक्ष् ख्या to perceive] सत्य का दर्शन किये हुए, (स्तोका:) = [षुच् प्रसादे] प्रसन्नचित्तवाले ये संन्यस्त पुरुष-संन्यासी (पृथिवीं सचन्ते) = इस पृथिवी के साथ पृथिवीस्थ प्राणियों के साथ मेलवाले होते हैं। ज्ञान देने के द्वारा उनके कल्याण के लिए यत्नशील होते हैं। ये संन्यस्त (प्राणापानैः) = प्राणापान की शक्तियों से तथा (ओषधीभिः) = ओषधियों से (संमिता:) = समित-उपमित होते हैं। ये ही वस्तुतः राष्ट्र के प्राणापान-जीवन के रक्षक होते हैं तथा दोषों को दग्ध [उष दाहे] करनेवाले होते हैं। २. (असंख्याता:) = [संख्या to be connected with] किन्हीं के साथ भी अपने को सम्बद्ध न करते हुए ये (ओप्यमानाः) = चारों ओर ज्ञान को फैलाते हुए [ज्ञान का वपन करते हुए] (सुवर्णा:) = उत्तम रूप में प्रभु के गुणों का प्रतिपादन करते हुए (शचयः) = पवित्र जीवनवाले (सर्वं शुचित्वम् व्यापुः) = पूर्ण पवित्रता का व्यापन करनेवाले होते हैं। पवित्रता को व्याप्त करनेवाले ये पुरुष ही 'आप्त' कहलाते हैं। इनके शब्द लोगों के लिए प्रमाणभूत होते हैं।

    भावार्थ -

    संन्यस्त पुरुष 'सत्यदर्शी, सदा प्रसन्न, प्रजाओं के प्राण व दोषदग्धा' होते हैं। ये अनासक्त भाव से ज्ञान का प्रसार करते हैं। प्रभु के गुणों का सम्यक् प्रतिपादन करते हुए पवित्रता से व्याप्त जीवनवाले 'आप्त' पुरुष होते हैं।

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