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  • अथर्ववेद - काण्ड 12/ सूक्त 5/ मन्त्र 14
    सूक्त - अथर्वाचार्यः देवता - ब्रह्मगवी छन्दः - साम्न्युष्णिक् सूक्तम् - ब्रह्मगवी सूक्त

    सर्वा॑ण्यस्यां क्रू॒राणि॒ सर्वे॑ पुरुषव॒धाः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    सर्वा॑णि । अ॒स्या॒म् । क्रू॒राणि॑। सर्वे॑ । पु॒रु॒ष॒ऽव॒धा: ॥७.३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सर्वाण्यस्यां क्रूराणि सर्वे पुरुषवधाः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    सर्वाणि । अस्याम् । क्रूराणि। सर्वे । पुरुषऽवधा: ॥७.३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 12; सूक्त » 5; मन्त्र » 14

    भाषार्थ -
    (अस्याम्) इस गौ अर्थात् गोजाति में (सर्वाणि क्रूराणि) सब प्रकार के क्रूरकर्म और (सर्व पुरुषवधाः) सब प्रकार के [राज] पुरुषों के वध के साधन वास करते हैं।

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