Loading...

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 12/ सूक्त 5/ मन्त्र 36
    सूक्त - अथर्वाचार्यः देवता - ब्रह्मगवी छन्दः - साम्न्युष्णिक् सूक्तम् - ब्रह्मगवी सूक्त

    श॒र्वः क्रु॒द्धः पि॒श्यमा॑ना॒ शिमि॑दा पिशि॒ता ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    श॒र्व: । क्रु॒ध्द: । पि॒श्यमा॑ना । शिमि॑दा । पि॒शि॒ता ॥८.९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    शर्वः क्रुद्धः पिश्यमाना शिमिदा पिशिता ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    शर्व: । क्रुध्द: । पिश्यमाना । शिमिदा । पिशिता ॥८.९॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 12; सूक्त » 5; मन्त्र » 36

    भाषार्थ -
    (पिश्यमाना) गोमांसरूप में पीसी जाती हुई, गौ (क्रुद्धः शर्वः) क्रुद्ध और विनाशकारी रूप है, (पिशिता) और पीसी गई (शिमिदा) सत्कर्मों की जड़ काट देती है।

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top