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  • अथर्ववेद - काण्ड 12/ सूक्त 5/ मन्त्र 69
    सूक्त - अथर्वाचार्यः देवता - ब्रह्मगवी छन्दः - प्राजापत्यानुष्टुप् सूक्तम् - ब्रह्मगवी सूक्त

    मां॒सान्य॑स्य शातय॒ स्नावा॑न्यस्य॒ सं वृ॑ह ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    मां॒सानि॑ । अ॒स्य॒ । शा॒त॒य॒ । स्नावा॑नि । अ॒स्य॒ । सम् । वृ॒ह॒ ॥११.८॥


    स्वर रहित मन्त्र

    मांसान्यस्य शातय स्नावान्यस्य सं वृह ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    मांसानि । अस्य । शातय । स्नावानि । अस्य । सम् । वृह ॥११.८॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 12; सूक्त » 5; मन्त्र » 69

    भाषार्थ -
    (अस्य) इस के (मांसानि) मांसों को (शातय) टुकड़े-टुकड़े कर दे, (अस्य) इस की (स्नावानि) नस-नाड़ियों को (सं वृह) सम्यक्तया काट दे (६९)

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