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  • अथर्ववेद - काण्ड 12/ सूक्त 5/ मन्त्र 70
    सूक्त - अथर्वाचार्यः देवता - ब्रह्मगवी छन्दः - प्राजापत्यानुष्टुप् सूक्तम् - ब्रह्मगवी सूक्त

    अस्थी॑न्यस्य पीडय म॒ज्जान॑मस्य॒ निर्ज॑हि ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अस्थी॑नि । अ॒स्य॒ । पी॒ड॒य॒ । म॒ज्जान॑म् । अ॒स्य॒ । नि: । ज॒हि॒ ॥११.९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अस्थीन्यस्य पीडय मज्जानमस्य निर्जहि ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अस्थीनि । अस्य । पीडय । मज्जानम् । अस्य । नि: । जहि ॥११.९॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 12; सूक्त » 5; मन्त्र » 70

    भाषार्थ -
    (अस्य) इस की (अस्थीनि) हड्डियों को (पीडय) पीस दे, (अस्य) इसके (मज्जानम्) मज्जा को (निर्जहि) नष्ट कर दे(७०)। [मज्जा = marrow, हड्डियों में वर्तमान गुद्दा]।

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