Loading...

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 12/ सूक्त 5/ मन्त्र 64
    सूक्त - अथर्वाचार्यः देवता - ब्रह्मगवी छन्दः - प्राजापत्यानुष्टुप् सूक्तम् - ब्रह्मगवी सूक्त

    यथाया॑द्यमसाद॒नात्पा॑पलो॒कान्प॑रा॒वतः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    यथा॑ । अया॑त् । य॒म॒ऽस॒द॒नात् । पा॒प॒ऽलो॒कान् । प॒रा॒ऽवत॑: ॥११.३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    यथायाद्यमसादनात्पापलोकान्परावतः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    यथा । अयात् । यमऽसदनात् । पापऽलोकान् । पराऽवत: ॥११.३॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 12; सूक्त » 5; मन्त्र » 64

    भाषार्थ -
    (यथा) जिस तरह कि गोघाती (यमसादनात्) यम१ के सदन से (परावतः) दूरवर्ती (पापलोकान्) पापियों के लोकों को (यात्) जाए।

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top