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अथर्ववेद - काण्ड 18/ सूक्त 4/ मन्त्र 76
सूक्त - यम, मन्त्रोक्त
देवता - आसुरी गायत्री
छन्दः - अथर्वा
सूक्तम् - पितृमेध सूक्त
ए॒तत्ते॑ ततामहस्व॒धा ये च॒ त्वामनु॑ ॥
स्वर सहित पद पाठए॒तत् । ते॒ । त॒ता॒म॒ह॒ । स्व॒धा । ये । च॒ । त्वाम् । अनु॑ ॥४.७६॥
स्वर रहित मन्त्र
एतत्ते ततामहस्वधा ये च त्वामनु ॥
स्वर रहित पद पाठएतत् । ते । ततामह । स्वधा । ये । च । त्वाम् । अनु ॥४.७६॥
अथर्ववेद - काण्ड » 18; सूक्त » 4; मन्त्र » 76
भाषार्थ -
(ततामह) हे पितामह! (ते) आपके लिए (एतत्) यह (स्वधा) स्वधान्न है, आत्मधारण-पोषणकारी अन्न है। (च) और जो पितर (त्वामनु) आपके बाद के होंगे, उनके लिए भी यह स्वधान्न है।