अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 2/ मन्त्र 73
ऋषिः - आत्मा
देवता - अनुष्टुप्
छन्दः - सवित्री, सूर्या
सूक्तम् - विवाह प्रकरण सूक्त
53
ये पि॒तरो॑वधूद॒र्शा इ॒मं व॑ह॒तुमाग॑मन्। ते अ॒स्यै व॒ध्वै॒ संप॑त्न्यै प्र॒जाव॒च्छर्म॑यच्छन्तु ॥
स्वर सहित पद पाठये । पि॒तर॑: । व॒धू॒ऽद॒र्शा: । इ॒मम् । व॒ह॒तुम् । आ । अग॑मन् । ते । अ॒स्यै । व॒ध्वै । सम्ऽप॑त्न्यै । प्र॒जाऽव॑त् । शर्म॑ । य॒च्छ॒न्तु॒ ॥२.७३॥
स्वर रहित मन्त्र
ये पितरोवधूदर्शा इमं वहतुमागमन्। ते अस्यै वध्वै संपत्न्यै प्रजावच्छर्मयच्छन्तु ॥
स्वर रहित पद पाठये । पितर: । वधूऽदर्शा: । इमम् । वहतुम् । आ । अगमन् । ते । अस्यै । वध्वै । सम्ऽपत्न्यै । प्रजाऽवत् । शर्म । यच्छन्तु ॥२.७३॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
गृहआश्रम का उपदेश।
पदार्थ
(ये) जो (वधूदर्शाः)वधू के देखनेवाले (पितरः) पिता आदि लोग (इमम्) इस (वहतुम्) विवाह उत्सव में (आअगमन्) आये हैं। (ते) वे सब (सम्पत्न्यै) पतिसहित वर्तमान (अस्यै वध्वै) इस वधूको (प्रजावत्) प्रजा [सन्तान, सेवक आदि जनता] वाला (शर्म) शुख (यच्छन्तु) देवें॥७३॥
भावार्थ
हितैषी बड़े लोगों काकर्तव्य है कि विद्वान् बलवान् वधूवर से विद्वान्, शूर, वीर सन्तान उत्पन्नहोवें ॥७३॥
टिप्पणी
७३−(ये) (पितरः) पित्रादयः (वधूदर्शाः) दृशिर् दर्शने-अण्। वधूदर्शकाः (इमम्) दृश्यमानम् (वहतुम्) विवाहोत्सवम् (आ अगमन्) आगताः (ते) पूर्वोक्ताः (अस्यै) विदुष्यै (वध्वै) (सम्पत्न्यै) पत्या सह वर्तमानायै (प्रजावत्)सन्तानसेवकादियुक्तम् (यच्छन्तु) ददतु ॥
विषय
प्रजावत् शर्म
पदार्थ
१.(ये पितर:) = जो हमारे पितर-बड़े लोग (वधुदर्शा) = वधू को देखने की कामनावाले (इमम्) = इस वह (आगमन्) = विवाह में आये हैं, (ते) = वे सब (अस्यै) = इस (संपत्न्यै) = पति के साथ सम्यक् मेलवाली (वध्वै) = वधू के लिए (प्रजावत् शर्म यच्छन्तु) = प्रशस्त सन्तानवाले सुख को प्राप्त कराएँ। उत्तम सन्तान की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद दें।
भावार्थ
विवाह में उपस्थित सब बड़े लोग इस पति के साथ मेलवाली वधू के लिए उत्तम सन्तति की प्राप्ति का आशीर्वाद दें।
भाषार्थ
(ये) जो (पितरः) बुजुर्ग (वधूदर्शाः) वधू के दर्शन के निमित्त (इमम्) इस (वहतुम्) वधू के रथ के समीप (आ, अगमन्) आएं हैं, (ते) वे (संपत्न्यै) पति की सङ्गिनी (अस्यै वध्वै) इस वधू के लिये (प्रजावत्) उत्तमसन्तानोंवाले (शर्म) सुख का आशीर्वाद (यच्छन्तु) देवें।
टिप्पणी
[मन्त्र में “संपत्न्यै” शब्द द्वारा वधू के पितृगृह से पति-पत्नी के इकट्ठे आने का वर्णन हुआ है। वे रथ पर बैठ कर विवाहगृह से चल कर, पतिगृह को पहुंचते हैं। उस समय वर-वधू के दर्शनार्थ जो लोग एकत्रित होते हैं उन में से बुजुर्ग लोग आशीर्वाद देते हैं कि हे वधू! तू उत्तम-सन्तानों वाली हो जो कि तेरे लिये, गृहवासियों के लिये, तथा जगत् के लिये सुखशान्ति देनेवाली हों।]
विषय
पति पत्नी के कर्तव्यों का वर्णन।
भावार्थ
(ये) जो (पितरः) गुरु, माता, पिता, वृद्ध पालकजन (वधूदर्शाः) वधू को देखने के निमित्त से (इयं) इस (वहतुम्) विवाह में (आगमन्) पधारे हैं (ते) वे (पत्न्यै) मेरी पत्नी (अस्यै वधवै) इस वधू को (प्रजावत्) प्रजा सहित (शर्म) सुख प्राप्त करने के आशीर्वाद (सं यच्छन्तु) प्रदान करें।
टिप्पणी
(तृ०) ‘सम्पत्यै’ इति क्वचित्।
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
सावित्री सूर्या ऋषिका। सूर्यः स्वयमात्मतया देवता। [ १० यक्ष्मनाशनः, ११ दम्पत्योः परिपन्थिनाशनः ], ५, ६, १२, ३१, ३७, ३९, ४० जगत्य:, [३७, ३६ भुरिक् त्रिष्टुभौ ], ९ व्यवसाना षट्पदा विराड् अत्यष्टिः, १३, १४, १७,१९, [ ३५, ३६, ३८ ], ४१,४२, ४९, ६१, ७०, ७४, ७५ त्रिष्टुभः, १५, ५१ भुरिजौ, २० पुरस्ताद् बृहती, २३, २४, २५, ३२ पुरोबृहती, २६ त्रिपदा विराड् नामगायत्री, ३३ विराड् आस्तारपंक्ति:, ३५ पुरोबृहती त्रिष्टुप् ४३ त्रिष्टुब्गर्भा पंक्तिः, ४४ प्रस्तारपंक्तिः, ४७ पथ्याबृहती, ४८ सतः पंक्तिः, ५० उपरिष्टाद् बृहती निचृत्, ५२ विराट् परोष्णिक्, ५९, ६०, ६२ पथ्यापंक्तिः, ६८ पुरोष्णिक्, ६९ त्र्यवसाना षट्पदा, अतिशक्वरी, ७१ बृहती, १-४, ७-११, १६, २१, २२, २७-३०, ३४, ४५, ४६, ५३-५८, ६३-६७, ७२, ७३ अनुष्टुभः। पञ्चसप्तत्यृचं सूक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Subject
Surya’s Wedding
Meaning
All parents and seniors who have come to this wedding ceremony and to see this bride, may all of them offer this bride along with her bridegroom their blessings for the gift of a happy home with noble progeny.
Translation
May the elders, who desirous of beholding the bride, have come to this bridal procession, grant to this bride along with her husband progeny and comfort (happiness).
Translation
May those our fathers, grand-fathers who desirous to see the bride come to this bridal pomp wish and bless this good bride, and good wife with the happiness accompanied by progeny.
Translation
May they, the elders, who, to view this bride, have joined this marriage party, pray for this lady and her lord, for children and peaceful happiness.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
७३−(ये) (पितरः) पित्रादयः (वधूदर्शाः) दृशिर् दर्शने-अण्। वधूदर्शकाः (इमम्) दृश्यमानम् (वहतुम्) विवाहोत्सवम् (आ अगमन्) आगताः (ते) पूर्वोक्ताः (अस्यै) विदुष्यै (वध्वै) (सम्पत्न्यै) पत्या सह वर्तमानायै (प्रजावत्)सन्तानसेवकादियुक्तम् (यच्छन्तु) ददतु ॥
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
Misc Websites, Smt. Premlata Agarwal & Sri Ashish Joshi
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
Sri Amit Upadhyay
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
Sri Dharampal Arya
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
N/A
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal