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  • अथर्ववेद - काण्ड 18/ सूक्त 4/ मन्त्र 72
    सूक्त - यम, मन्त्रोक्त देवता - आसुरी पङ्क्ति छन्दः - अथर्वा सूक्तम् - पितृमेध सूक्त

    सोमा॑य पितृ॒मते॑स्व॒धा नमः॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    सोमा॑य । पि॒तृ॒ऽम॑ते । स्व॒धा । नम॑: ॥४.७२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सोमाय पितृमतेस्वधा नमः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    सोमाय । पितृऽमते । स्वधा । नम: ॥४.७२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 18; सूक्त » 4; मन्त्र » 72

    पदार्थ -
    (पितृमते)श्रेष्ठमाता-पितावाले (सोमाय) प्रेरक पुरुष को (स्वधा) अन्न और (नमः) नमस्कार हो॥७२॥

    भावार्थ - मनुष्यों को योग्य हैकि विविध प्रकार के विद्वान् माननीय पुरुषों का अन्न आदि से सत्कार करके विविधशिक्षा ग्रहण करें ॥७१-७४॥मन्त्र ७१, ७२ कुछ भेद से यजुर्वेद में हैं−२।२९॥

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