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यजुर्वेद अध्याय - 12
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यजुर्वेद - अध्याय 12/ मन्त्र 9
ऋषिः - वत्सप्रीर्ऋषिः
देवता - अग्निर्देवता
छन्दः - निचृदार्षी
स्वरः - षड्जः
121
पुन॑रू॒र्जा निव॑र्त्तस्व॒ पुन॑रग्नऽइ॒षायु॑षा। पुन॑र्नः पा॒ह्यꣳह॑सः॥९॥
स्वर सहित पद पाठपुनः॑। ऊ॒र्जा। नि। व॒र्त्त॒स्व॒। पुनः॑। अ॒ग्ने॒। इ॒षा। आयु॑षा। पुनः॑। नः॒। पा॒हि॒। अꣳह॑सः ॥९ ॥
स्वर रहित मन्त्र
पुनरूर्जा निवर्तस्व पुनरग्नऽइषायुषा पुनर्नः पाह्यँहसः ॥
स्वर रहित पद पाठ
पुनः। ऊर्जा। नि। वर्त्तस्व। पुनः। अग्ने। इषा। आयुषा। पुनः। नः। पाहि। अꣳहसः॥९॥
भाष्य भाग
संस्कृत (1)
विषयः
पुनरध्यापककृत्यमाह॥
अन्वयः
हे अग्ने! त्वं नोऽस्मानंहसः पुनर्निवर्त्तस्व, पुनरस्मान् पाहि, पुनरिषाऽऽयुषोर्जा प्रापय॥९॥
पदार्थः
(पुनः) (ऊर्जा) पराक्रमयुक्तानि कर्माणि (नि) (वर्त्तस्व) (पुनः) (अग्ने) विद्वन्! (इषा) इच्छया (आयुषा) अन्नेन (पुनः) (नः) अस्मान् (पाहि) रक्ष (अंहसः) पापात्। [अयं मन्त्रः शत॰६.७.३.६ व्याख्यातः]॥९॥
भावार्थः
विद्वांसः सर्वानुपदेश्यान् मनुष्यान् पापात् सततं निवर्त्य शरीरात्मबलयुक्तान् सम्पादयन्तु, स्वयं च पापान्निवृत्ताः परमपुरुषार्थिनः स्युः॥९॥
हिन्दी (3)
विषय
फिर पढ़ानेहारे का कर्त्तव्य अगले मन्त्र में कहा है॥
पदार्थ
हे (अग्ने) अग्नि के समान तेजस्वी अध्यापक विद्वान् जन! आप (नः) हम लोगों को (अंहसः) पापों से (पुनः) बार-बार (निवर्त्तस्व) बचाइये, (पुनः) फिर हम लोगों की (पाहि) रक्षा कीजिये, और (पुनः) फिर (इषा) इच्छा तथा (आयुषा) अन्न से (ऊर्जा) पराक्रमयुक्त कर्मों को प्राप्त कीजिये॥९॥
भावार्थ
विद्वान् लोगों को चाहिये कि सब उपदेश के योग्य मनुष्यों को पापों से निरन्तर हटा के शरीर और आत्मा के बल से युक्त करें और आप भी पापों से बच के परम पुरुषार्थी होवें॥९॥
विषय
पाप - निर्वतन
पदार्थ
१. हे ( अग्ने ) = हमें आगे ले-चलनेवाले प्रभो! आपके आवर्तनों से—उपासन व ध्यान से आप हमें ( पुनः ) = फिर ( ऊर्जा ) = बल और प्राणशक्ति के साथ ( निवर्त्तस्व ) = प्राप्त होओ। आपके सतत स्मरण से हम शक्ति का अनुभव करें। २. ( पुनः इषा ) = फिर-फिर हम आपकी प्रेरणा को सुननेवाले बने। ३. आपकी प्रेरणा को सुनते हुए हम ( आयुषा ) = उत्कृष्ट जीवन से युक्त हों, ४. परन्तु हे प्रभो! अपनी अल्पता के कारण हम बारम्बार पाप की ओर झुक जाते हैं, समझते हुए भी कई बार उस पाप से रुक नहीं पाते। हमारी आपसे यह आराधना है कि ( नः ) = हमें ( पुनः ) = फिर-फिर ( अंहसः ) = इन कष्टों के कारणभूत पापों से ( पाहि ) = सुरक्षित कीजिए। अपनी निरन्तर प्रेरणा से हमें सतत सावधान करते रहिए।
भावार्थ
भावार्थ — प्रभु-कृपा से हम बल व प्राणशक्ति का लाभ करें। उत्कृष्ट प्रेरणा को प्राप्त कर ऊँचे जीवनवाले बनें। पापों से बचे रहें।
विषय
देशान्तरों से भी ऐश्वर्य आहरण ।
भावार्थ
हे ( अग्ने ) विद्वन् ! राजन् ! तू ( पुनः ) वार २ ( ऊर्जा ) बल पराक्रम से युक्त होकर और ( पुनः ) वार २ ( इषा ) अन्न और ( आयुषा )दीर्घ आयु से युक्त होकर ( निवर्त्तस्व ) लौट आ | ( नः ) हमें ( पुनः ) वार २ ( अंहस: ) पाप से ( पाहि ) बचा ॥ शत० ६ । ७ । ३ । ६ ।।
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
अग्निर्देवता । निचृदार्षी गायत्री । षड्जः ॥
मराठी (2)
भावार्थ
विद्वान लोकांनी उपदेश करून सर्वांना पापापासून सदैव परावृत्त करावे. सर्वांची शरीरे व आत्मे बलवान करावेत. स्वतःही पापांपासून दूर राहून अत्यंत पुरुषार्थी बनावे.
विषय
पुढील मंत्रात अध्यापकाच्या कर्तव्याविषयी सांगितले आहे -
शब्दार्थ
शब्दार्थ - (प्रजाजनांची विद्यानांप्रत प्रार्थना) हे (अग्ने) अग्नीप्रमाणे तेजस्वी अध्यापक विद्वानजनहो, आपण (न:) आम्हाला (प्रजाजनांना) (अंहस:) पापांपासून (पुन:) वारंवार (निवर्तस्व) वाचवा आणि आमच्यावर संकटे आल्यावर (पुन:) वारंवार वेळी (पाहि) आमची रक्षा करा. तसेच आम्हाला (इषा) दृढ इच्छा शक्ती द्या. (आयुषा) अन्न मिळविण्याचे आणि (ऊर्जा) पराक्रम युक्त कर्म करण्याचे सामर्थ्य द्या. ॥9॥
भावार्थ
भावार्थ - विद्वज्जनांकरिता उचित आहे की त्यांनी उपदेश देण्यास योग्य अशा मनुष्यांना (जे उपदेश ऐकणारे व त्याप्रमाणे करणारे आहेत, त्या लोकांना) उपदेश करून पापकर्मापासून सदैव निवृत्त करावे व त्यांना शारीरिक व आत्मिक शक्ती द्यावी. तसेच त्यांनी (उपदेशक विद्वानांनी) स्वत:देखील पापकर्मापासून दूर असावे आणि परम पुरुषार्थी व्हावे. ॥9॥
इंग्लिश (3)
Meaning
O learned teacher, save us again and again from vices. Protect us again and again. Grant us again and again noble resolves, nourishing diet, and valorous deeds.
Meaning
Agni, brilliant power of light and knowledge/Man of knowledge and science, come, return your visits with the gifts of food and energy, health and age. Save us from sin and evil deeds again and again, and inspire us to do great things.
Translation
O fire divine, with nourishing food restore our vigour along with life. Again, save us from the sin. (1)
Notes
Isa, with (nourishing) food. Anmhasah, पापात्, trom sin.
बंगाली (1)
विषय
পুনরধ্যাপককৃত্যমাহ ॥
পুনঃ অধ্যাপকের কর্ত্তব্য পরবর্ত্তী মন্ত্রে বলা হইয়াছে ॥
पदार्थ
পদার্থঃ- হে (অগ্নে) অগ্নিসম তেজস্বী অধ্যাপক বিদ্বান্ জন । আপনি (নঃ) আমাদিগকে (অংহসঃ) পাপ হইতে (পুনঃ) বারংবার (নিবর্তস্ব) রক্ষা করুন (পুনঃ) পুনরায় আমাদিগকে (পাহি) রক্ষা করুন এবং (পুনঃ) পুনশ্চ (ইষা) ইচ্ছা তথা (আয়ুষা) অন্ন দ্বারা (ঊর্জা) পরাক্রমযুক্ত কর্মসকল প্রাপ্ত করুন ॥ ঌ ॥
भावार्थ
ভাবার্থঃ- বিদ্বান্লোকদিগের উচিত যে, সব উপদেশযোগ্য মনুষ্যদিগকে পাপ হইতে সর্বদা সরাইয়া শরীর ও আত্মার বল দ্বারা যুক্ত করিবেন এবং স্বয়ংও পাপ হইতে মুক্ত থাকিয়া পরম পুরুষকার সম্পন্ন হইবেন ॥ ঌ ॥
मन्त्र (बांग्ला)
পুন॑রূ॒র্জা নি ব॑র্ত্তস্ব॒ পুন॑রগ্নऽই॒ষায়ু॑ষা ।
পুন॑র্নঃ পা॒হ্যꣳহ॑সঃ ॥ ঌ ॥
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
পুনরূর্জেত্যস্য বৎসপ্রীর্ঋষিঃ । অগ্নির্দেবতা । নিচৃদার্ষী গায়ত্রী ছন্দঃ ।
ষড্জঃ স্বরঃ ॥
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